________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir पाख्या 9 शतक उपक्षा / / 883 / / प्राप्ति बुच्चह जाब नोइसिपि हणइ ?, गोयमा! तस्म णं एवं भवइ एवं खलु अहं एग इसिं हणामि, से णं एग इसि | हणमाणे अणते जीवे हणइ से तेण?ण निरखेवओ। पुरिसे ण भंते ! पुरिसं हणमाणे किं पुरिसवेरेणं पुढे नो पुरि- सवेरेणं पुढे !, गोयमा ! नियमा ताव पुरिसरेण पुढे अहवा पुरिसवे रेण य पोपुरिसवेरेण य पुढे अहवा पुरिम- वेरेण य नोपुरिसवेरेहि य पुढे, एवं आसं एवं जाव चिल्ललगं जाव अहवा चिल्ललगबेरेण य णोचिल्ललगवेरेहि य पुढे, पुरिसे णं भंते ! इसिं हणमाणे किं इसिवेरेणं पुढे नोइसिवे रेण पुढे ?, गोयमा! नियमा इसिवरेण य नोइसिवेरेहि य पुढे // (सूत्रं.३९१)॥ [प्र.] हे भगवन् ! कोई पुरुष कोइ एक त्रस जीवने हणतो शु ते त्रस जीवने हणे के ते शिवाय वीजा त्रस जीवोने पण हणे? [उ०] हे गौतम ! ते कोई एक त्रस जीवने पण हणे, अने ते शिवाय बीजा त्रस जीवोने पण हणे. [उ.] हे भगवन् ! ए प्रमाणे आप या हेतुथी कहो छो के 'ते कोई एक त्रस जीवने हणे अने ते शिवाय वीजा बस जीवने पण हणे 1 [उ०] हे गौतम! ते हणनारना मनमा ए प्रमाणे होय के के हुँकोइ एक त्रस जीवने हणुं हुं, पण ते कोई एक त्रस जीवने हणतो ते शिवाय बीजा अनेक त्रस जीवोने हणे छे. माटे हे गौतम ! इत्यादि पूर्ववत् जाणg. ए बधाना एक सरखा पाठ कहेवा. [प्र०] हे भगवन् ! ऋषिने हणतो कोई पुरुष शु ऋषिने हणे के ऋषि शिवाय बीजाने पण हणे? [उ०] हे गौतम ! ऋषिने हणे अने ऋषि शिवाय बीजाने पण हणे. [प्र०] हे भगवन् ! ए प्रमाणे आप शा हेतुथी कहो छो के यावद् ऋषि शिवाय बीजाने पण हणे? [उ०] हे गौतम! ते हणनारना मनमा एम दोय के के हुं एक ऋषिने हणुं छु", पण ते एक ऋषिने हणतो अनंत जीवोने हणे हे ते हेतुथी एम कहेवाय के NAGARSONAMEk For Private and Personal Use Only