________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir कि आम हणइ नोआसेवि हणड ?. गोयमा! आसंपि हणइ नोआसेवि हणइ, से केणटेणं अट्ठो तहेब, एवं 18| हत्यि सीहं वग्धं जाव चिल्ललगं। व्याख्या-1 I [प्र०] ते काले-ते समय गजगृह नगरमा (भगवान् गौतमे) यावत् ए प्रमाणे पुछयं के हे भगवन् ! कोइ पुरुष घात करतो P9 शसके प्रबप्तिः शुं पुरुषनोज घात करे के नोपुरुषनो घात करे। [उ०] हे गौतम ! पुरुषनो पण घात करे अने यावत् नोपुरुषोनो (पुरुष शिवाय |8|उद्देशा INEERIबीजा जीवोनो) पण घात करे. [प्र०] हे भगवन् ! ए प्रमाणे आप शा हेतुथी को छो के-पुरुषनो घात करे अने यावत् नोपुरु- // 882 // पोनो पण घात करे ? [उ०] हे गौतम! ते घात करनारना मनमां तो एम के के 'हुँ एक पुरुषने हृणुं छु', पण ते एक पुरुषने हणतो बीजा अनेक जीवोने हणे डे; माटे ते हेतुथी हे गौतम! एम कहुं छु छ के ते पुरुषने पण हणे अने यावत् नोपुरुषोने पण हणे. हानिकहे भगवन ! अश्वने हणतो कोई पुरुष शु अश्वने हणे के नोअश्वोने (अश्व सिवाय वीजा जीवोने) पण हणे [30] हे गौतम ! ते अश्चने पण हणे अने नोअश्वोने पण हणे. [प्र०] हे भगवन् ! ए प्रमाणे आप शा हेतुर्थी कहो छो? [उ०] हे गौतम ! उत्तर पूर्व वत् जाणवो. ए प्रमाणे हस्ती, सिंह, वाघ तथा यावत् चिल्ललक संबन्धे पण जाण. ए बधानो एक सरखो पाठ जाणवो. 4aa पुरिसे णं भंते! अन्नयरं तमपाण हणमाणे किं अन्नयरं तसपाणं हणड नोअन्नयरे तसपाणे हणह?, गोयमा! अन्नयरपि तसपाण हणइ नोअन्नयरेवि तसे पाणे हणह, से केणतुणं भंते एवं बुबइ अन्नयरंपि तम पाणं नोअन्न-2 यरेचि तसे पाणे हणइ ?, गोयमा! तस्स ण एवं भवह एवं खल अहंएगं अन्नयरं तसं पाणं हणामि, से णं एग अन्नयरं तसं पाण हणमाणे अणेगे जीवे हणह, से तेणद्वेणं गोयमा त चेव एए सब्वेवि एकगमा / पुरिसे णं भते! | इसिं हणमाणे किं इसि हणइ नोइसिं हणइ ?, गोयमा ! इसिपि हणह नोइसिपि हणइ, से केण?णं भंते ! एवं For Private and Personal Use Only