________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kabatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir [H0] हे भगवन् ! एक पांदडावाळो शालूक (उत्पलकन्द) झु एक जीववाळो छे के अनेक जीववाळो ? [10] हे गौतम। ते एक जीववालो के ए प्रमाणे उत्पले देशकनी सघळी वक्तव्वता कहेची, यावद् 'अनन्तबार उत्पन थया छे.' परन्तु विशेष एछ के, व्याख्याशालूकना शरीरनी अवगाहना जघन्यथी अंगुलना असंख्यातमा भाग जेटली. अने उत्कृष्ट धनुषपृथक्त्व छ बाकी पधुं पूर्ववत् जाणq. प्रज्ञप्तिः हे भगवन् ! ते एमज छे हे भगवन् ते एमन छे. // 410 // // 938 // भगवत सुधर्मस्वामीप्रणीत श्रीमद् भगवतीसूत्रना 11 मा शतकमां चीजा उद्देशानो मूलार्थ संपूर्ण थयो. ११शतके उद्देशः३ // 938 // उद्देशक 3. पलासे ण मते ! एगपत्तए किंगजीवे अणेगजीवे , एवं उपलुद्देसगवत्तब्वया अपरिसेसा भाणियब्धा, *नवरं सरीरोगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजहभागं उक्कोसेणं गाउयपुहत्ता, देवा एगसुन उववजंति। लेसास ते णमंते! जीवा किं कण्हलेसे नीललेसे काउलेसे०, गोयमा कण्हलेसे वा नीललेस्से वा काउलेस्से वा छब्बीस ह भंगा, सेस तं चेव / सेवं भंते! २त्ति / / (सूत्रं 411) // 11-3 // / [] हे भगवन् ! पलाशवृक्ष [ प्रारंभमां ] एक पांदडावाळो होय त्यारे | एक जीववाळो होय के अनेक जीववालो होय ? [उ०] हे गौतम! उत्पल उद्देशकनी बधी वक्तव्यता अहीं कहेवी. परन्तु विशेष ए छे के, पलाशना शरीरनी अबगाहाना जघन्यथी अंगुलनो असंख्यातमो भाग अने उत्कृष्ट गाउपृथक्त्व छे. बळी देवो च्यवीने 5 पलाशवृक्षमा उत्पन्न थता नथी. [10] लेश्याद्वा-हा For Private and Personal Use Only