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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्वचोष्टिते युद्धप्रकरणम् । (४४९) राज्ञो रणो नैव भविष्यतीति प्रश्ने कृते यद्यशभा भवति ॥ . चेष्टाः समस्ताः सरमासुतस्य भवेत्तदानीं समरोतिघोरः ॥ ८८॥ लोलन्ध्रुवं लोलयते नरेशं सवाहनामात्यपदातिदेशम् ॥ यत्कांडवेगो हदते च योऽसा ब्रवीति भंगं युधि जागरूकः ॥ ८९॥ शुना निमित्तं द्वितयं विरुद्धं शांतप्रदीप्तं च कृतं यदि स्यात् ॥ मध्यात्तयोनिष्फलमादिभूतं फलावितं पश्चिममामनंति ॥ ९० ॥ युद्धं विधातुं चलितस्य मध्यात्सैन्यद्वयस्योरुमदस्य यत्र ॥ कौलेयको मृत्रयते ध्वजादावसंशयं तस्य भवेज्जयश्रीः ॥ ९१॥ ॥ टीका ॥ दणश्चिरात्स्यात् ॥ ८७ ॥राज्ञ इति ॥ राज्ञो रणो नैव भविष्यतीति प्रश्ने कृते यदि सरमामुतस्य वक्रवालधेः श्वानस्य समस्ताश्चेष्टाः अशुभा भवंति तदानीमतिघोरः अत्युत्कटः समरः संग्राम: स्यात् ॥ ८८ ॥ लोलन्निति ॥ यो, लोलजागरूकः सध्रुवंसवाहनामात्यपदातिदेशं वाहनं च अमात्यश्च पदातयश्च देशश्चेति द्वंद्वःतैःस. हितं नरेशं लोलयते धुनोति यः कांडवेगःशरवद्रुतगतिःसन् हदतेच असौ युधि भंग पराजयं ब्रवीति॥८९॥शुनति।यदिशुना कुक्कुरेणशांतं प्रदीतं च निमित्तद्वितयंविरुद्ध कृतं स्यात्तदा तयोर्मध्यादादिभूतं प्रथमं निष्फलं फलरहितं पश्चिमं पाश्चात्यं फलान्वि तं फलयुक्तम् आमनंति कथयति॥९॥युद्धमिति॥युद्धं विधातुं चलितस्य उरुमदस्य सैन्यद्वयस्य मध्यावत्र कौलेयको ध्वजादौ मूत्रयते तस्य राज्ञः असंशयं जयश्री. ॥भाषा॥ होय फिर बहुत काल पीछे संग्राम होय ॥ ८७ ॥ राज्ञ इति ॥ राजाको युद्ध नहीं होयगो ऐसो प्रश्न करै तब श्वानकी जो समस्तचेष्टा अशुभ होय अतिघोर संग्राम होय ॥ ॥ ८८ ॥ लालनिति ॥ जो श्वान प्रश्न करेपै चलतो होय या चलायमान होक तो निश्चय कर वाहन मन्त्री पैदल देश इनसहित राजाकू चलायमान कर देवै. जो श्वान बाणकीसी नाई बडेवेगसं गमन करे और विष्ठाकर देवे तो संग्राममें भंग करावे ॥ ८९ ।। शनोति ॥ जो श्वानने शांत प्रदीप्त ये दोनों विरुद्ध किये होय दोनोंनमेंसू जो पहले कियो होय वो फल रहित जाननो. जो पीछे कियो होय वो फलसहित जाननो ॥ ९ ॥ युद्धमिति ॥ युद्ध करवेकू बहुत मदयुक्त दोनों सेनाके मध्यमेंसू जो राजाकी सेनामें For Private And Personal Use Only
SR No.020879
Book TitleVasantraj Shakunam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasantraj Bhatt, Bhanuchandravijay Gani
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1828
Total Pages596
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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