SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 83
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उत्तराध्य वाळा, तथा दुराश्रय कोइ वादीए कपट करी जेनो आश्रय लइ न शकाय तेवा, अर्थात् कोइथी छेतरी न शकाय तेवा बळी अचयनसूत्रम् कित त्रास मुक्त कोइ परीपहवडे त्रास न पामनारा अने परवादीओए पराभव न पमाडी शकाय तेवा श्रुतज्ञान धर=बहुश्रुत जनो मोक्षे गया छे, जाय छे, तथा जशे. ३१ TAG अध्य०११ ॥६५३॥ तम्हा सुअमहिहिज्जा । उत्तमढुंगवेसए । जेणप्पाणं परं चेव । सिद्धि मंपाउणिज्जसे तिबेमि ॥ ३२ ॥ IBE ॥६५३॥ | (तम्हा) तेथी [उत्तम गबेसए] मोक्ष शोधक पुरुषे [सु अहिटिज्जा] श्रुतज्ञाननो अभ्यास करवो (जेण) के जेथी (अप्पाण' पर' चेव) स्वपरने पण [सिद्धि सिद्धि प्रत्ये [संपाउणिज्जालि पमाडी शकाय [त्तिबेमि एम कटु छु'. ३२ व्या-उत्तमार्थगवेषको मोक्षार्थी पुमान् , तस्मात् यहुश्रुतस्य मोक्षप्राप्तियोग्यत्वात् श्रुतं सिद्धांतं अधितिष्टन् , | उत्तमश्चासावर्थश्च उत्तनार्थो मोक्षार्थस्तं गवेषते इति उत्तमार्थगवेषकः, येन श्रुतेन आत्मानं च पुनः परमपि सिद्धिं प्रापयेत् , मोक्षं गमयेत्. कोऽर्थः? बहुश्रुतः स्वयनपि मोक्ष प्रामोति, अन्यमपि स्वं सेवकं मोक्ष प्रापयतीत्यर्थः. इत्यह ब्रवीमि, इति सुधर्मास्वामी स्वामिन प्रवाह ॥३२॥ इति बहुश्रुतपूजाख्यमेकादशमध्ययन संपूर्ण. ॥११॥ उत्तमार्थगवेषक मोक्षार्थी पुरुषे-बहुश्रतज मोक्ष प्राप्तिने योग्य छे ते माटे श्रुतसिद्धान्त स्थित करवो. उत्तम अर्थ-मोक्ष, तेनी J. गवेषणा शोधमां उतरेला मनुष्ये, जे श्रुतज्ञानवडे आत्मा-पोताने तथा परने पण सिद्धि पमाडाय मोक्ष प्राप्ति करावाय, एटले के DE ते बहुश्रुत पोते मोक्ष पामे तेम अन्य-पोताना सेवकने पण मोक्ष पमाडे-एम हुं बोलु छु. (आ रीते सुधर्मास्वामी जंयूस्वामी प्रत्ये | | वोल्या.) परीते आ बहुश्रुतपूजा नामर्नु एकादशाध्ययन पूर्ण थयु. For Private and Personal Use Only
SR No.020856
Book TitleUttaradhyayan Sutram Part 03
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorLakshmivallabh Gani
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1936
Total Pages291
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy