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उत्तराध्य-13E पन सूत्रम् 3
भाषांतर अध्ययन
॥४२९॥
॥४२९॥
इत्यौरभ्रीयाख्यं सप्तममध्ययनं संपूर्ण. ॥७॥ इति श्रीमदुसराध्ययनसूत्रार्थदीपिकायामुपाध्यायश्रीलक्ष्मीकीर्तिगणिशिष्यलक्ष्मीवल्लभगणिविरचितायां
सप्तमाध्ययनस्यार्थः संपूर्णः ॥ श्रीरस्तु॥ अर्थ-मुनि-तीर्थकरनो आदेशकारी साधु, अमुक प्रकारे बालना बाल भावने तथा पंडितना अबालभाव-धीरताने तोळीने (वचमा 'ण' पद वाक्यालंकार अर्थमां छे.) पश्चात् पंडित तत्त्वज्ञ पुरुष बोल भाव-मूर्खत्व त्यजीने अबाल-पंडितत्वने सेवे-अंगीकार करे-'एम हुं बोलु छ आवी रीते सुधर्मास्वामी जंबूस्वामी प्रत्ये बोल्या. ३० ।
एरीते आ औरभ्रीय आख्यावाळु सप्तम अध्ययन संपूर्ण थयु. इति श्रीउत्तराध्यन सूत्रनी उपाध्याय लक्ष्मीकीर्तिगणिना शिष्य लक्ष्मीवल्लभगणि एविरचित अर्थ दीपिका नामनी
वृत्तिमां सातमा अध्ययननो अर्थ पूर्ण थयो. इति श्रीमदुत्तराध्ययनसूत्रार्थदीपिकायामुपाध्यायश्रीलक्ष्मीकीर्तिगणिशिष्यलक्ष्मीवल्लभगणिविरचितायां
सप्तमाध्ययनस्यार्थः संपूर्णः ॥ श्रीरस्तु ॥
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