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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पालन करे छे. भात खबरावे छे, पुत्रनी पेठे विविध अलंकारथी शणगारे छे, हुँ तो मंद भाग्य छ जेथी मने तो मुकुं घास पण मांड TREभाषांतर सुत्सराध्य-18 पामु छु तेम निर्मल पाणी पण मळतुं नथी, तेम मने कोइ लडावतुं पण नथी. माताए पुत्रने का के-हे पुत्र! ए घेटाना आ आतुर | । पन सूत्रम् अध्ययन चिन्हो छे जेम मरवा पडेलो आतुर जे मागे ते पथ्य होय के अपथ्य ते वधुंय तेने आपे छे तेम आ घेलाने पण बधुं देवाय छे ॥४०५॥ | पण ज्यारे तेने मारशे त्यारे तूं जोइश. एम करता एक दिवस ते गृहस्थने घरे पार्णक-परोणा आल्या त्यारे तेने माटे पेला घेटाने || nel मरातो ते वाछडे दीठो ते बखते पण ए बाछडो धावतो रही जइ उभो रह्यो त्यारे बळी तेनी मा गाय बोली के-हे पुत्र! तुं व्हीनो? में तने पूर्वे का हतुं जे आ आतुर चिन्ह छे ते याद नथी आवतुं? के आ घेटाने भात चरावीने खूब लालन कर्यु तेनेज आ टाणे मारे छे. तने तो मूकुं घास खबरावे छे. तारे आ टाणे जराय व्हीवानुं नथी कारण के तने कोइ पण मारशे नहि. आवा मानां वचनो सांभळीने ते वाछडे सुखेथी नीरांतेस्तन्यपान कर्यु. एम जे पुरुष पोताने भावता विविध प्रकारना आस्वादमां लंपट थइ अधर्माचरण | करे छे ते नरक भोगार्थ आयुष्य बांधे छे १ तओ से पुढे परिवूढे । जार्यमेए महोदरे पीणिएं विउँले देहे आएंसं परिकखए ॥२॥ मुलार्थ:-(तओ) स्थारपछी (पुढे) पुए थयेलो (परिवढे) लडवामां समर्थ (जायमेर) वृद्धि पाम्यो है. तथा (महोदरे) मोटा उदर RE वाळो अने (पीणिए) खवरावी पीवरावी संतुए करेलो (से) ते घेटो (विउले) विशाळ (दहे) देह थये सते (आएसं) प्राघूर्णकने (परिकंखए) इच्छे छे. ॥२॥ व्या-ततः स एलकः कीदृशो जातः? ततः स उरभ्रः पुष्ट उपचितमांसः, परिवृढो युद्धादौ समर्थः, सर्वेष्व- 100 For Private and Personal Use Only
SR No.020855
Book TitleUttaradhyayan Sutram Part 02
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorLakshmivallabh Gani
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1935
Total Pages290
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size15 MB
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