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उत्तरा
सटीक
॥१२७५॥
ASI-ARA
रोवमा ॥ २८ ॥ व्याख्या-ब्रह्मदेवलोके दशसागरोपमाण्युत्कृष्टेनायुःस्थितिर्भवेत. जघन्येन सप्तसागरोपमाणि स्थितिर्भवेत् ॥ २८ ॥
॥ मूलम् ॥-चउद्दससागराइं। उक्कोसेण ठिई भवे ॥ लंतगंमि जहन्नेणं । दस उ सागरोवमा ॥ २९ ॥ व्याख्या-लांतकदेवलोके उत्कृष्टेन चतुर्दशसागरोपमाण्यायुःस्थितिर्भवेत्. जघन्यतो | दशसागरोपमाण्यायुःस्थितिर्भवेत् ॥ २९ ॥
मूलम् ॥-सत्तरससागराइं। उक्कोसेण ठिई भवे ॥ महासुक्के जहन्नेणं । चउद्दस सागरोवमा ॥ ३०॥ व्याख्या-महाशुक्र देवलोके उत्कृष्टेन सप्तदश सागरोपमाण्यायुःस्थितिः, जघन्येन चतुर्दशसागरोपमाण्यायुःस्थितिभवेत् ॥ ३०॥
॥ मूलम् ॥--अट्ठारससागराइं। उक्कोसेण ठिई भवे ॥ सहस्सारे जहन्नेणं सत्तरससागरोवमा |॥ ३१ ॥ व्याख्या--सहस्रारे देवलोकेऽष्टादशसागरोपमाण्युत्कृष्टायुःस्थितिर्भवेत. जघन्यतः सप्तदश सागरोपमाण्यायुःस्थितिर्भवेत्. ॥३१॥
CACANCECAUSAGAR
*॥१२७५॥
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