________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उपमितिभवप्रपञ्चा कथा / केवलं वमनात्मजः पथ्यसेवापराङ्मुखः / कदनभक्षणोद्युक्तस्तस्य किं करवाणि ते // 6 // इतरवाह मामैवं नाथावदत सांप्रतम् / नेवाहं युग्मदादेशं लस्यामि कथञ्चन // 68 // तदाकर्ण्य मनाग् ध्यात्वा क्षणमात्रमवोचत / धर्मबोधकरस्तस्मै हितायोद्यतमानसः // 70 // अस्ति मे वचनायत्ता सद्बुद्धिर्नाम दारिका / तो ते करोमि निर्धयां विशेषपरिचारिकाम् // 71 // मा हि संनिहिता नित्यं पथ्यापथ्यविवेचिका / तुभ्यमेव मया दत्ता माकार्षाश्चित्तवैक्लवम् // 72 // केवलं मा विशेषज्ञा वैपरीत्यविधायिनाम् / अनादरवतां पुंसां नोपकाराय वर्तते // 73 // यदि तेऽस्ति सुखाकाङ्क्षा दुःखेभ्यो यदि ते भयम् / ततः मा वति यत्किञ्चित् कत्तुं युक्तं तदेव ते // 74 // एष एव ममादेशो यत्तदादेशवर्त्तनम् / / तस्यै न रोचते यस्तु नैव मह्यं स रोचते // 7 // अनेकाक्षष्ययुक्तापि तद्दया क्वचिदेत्य ते। प्रतिजागरणं भट्र करिष्यत्यन्तरान्तरा // 76 // केवलं परमार्थस्ते कथ्यते हितकाम्यया / मबुद्धौ मततं यत्नः कर्त्तव्यः सुखमिच्छता // 77 // ये मूढाः सम्यगाराध्य सप्रसादां न कुर्वते / एनां तेषां न राजेन्द्रो नाहं नान्यः प्रमौदति // 78 // For Private And Personal Use Only