________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उपमितिभवप्रपञ्चा कथा / लोशं विना सदाकालं प्रयच्छामि यथेच्छया / परमानमिदं तुभ्यं ग्रहाण त्वमनाकुलः // 58 // समूलकाषं कशति सर्वव्याधौनिदं हि ते / तुष्टिं पुष्टिं बलं वर्ण वौर्यादौन् वर्द्धयत्यपि // 58 // किं वानेनाक्षयो भूत्वा मततानन्दपूरितः / यथायमास्ते राजेन्द्रः स्थास्यस्येतद्वलात्तथा // 6 // ततो मुञ्चाग्रहं भद्र त्यजेदं रोगकारणम् / ग्टहाणेदं महानन्दकारणं परमौषधम् // 11 // म प्राह त्यतमात्रेऽस्मिन् म्रियेऽहं स्नेहविभ्रमात् / भट्टारक ततो देहि सत्यस्मिन्मे स्वभेषजम् // 62 // ततो विज्ञाय निर्बन्धमितरः पर्यकल्पयत् / नैवास्य शिक्षणोपायो विद्यते ऽन्योऽधुना स्फुटम् // 63 // ततोऽत्र विद्यमानेऽपि दीयतामिदमौषधम् / पश्चाविज्ञातसद्भावः स्वयमेव विहास्थति // 6 // इत्याकरलय्य तेनोको ग्राह्यतां भद्र सांप्रतम् / परमानमिदं सद्यो ग्टहीत्वा चोपयुज्यताम् // 65 // एवं भवतु तेनोके मंज्ञिता तेन तद्दया / दत्तं तया ग्टहीत्वा तत्तेन तत्रैव भक्षितम् // 66 // ततस्तदुपयोगेन बुभुक्षा शान्तिमागता / नष्टा दूव गदबाता येऽस्य सर्वाङ्गसंभवाः // 6 // यासावञ्जनसंपाद्या या च मा मलिलोद्भवा / सुखासिका क्षणात्तस्य मानन्तगुणतां गता // 68 // For Private And Personal Use Only