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तुलसी शब्द-कोश
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सुनयना : सं०स्त्री० (सं०) । सीरध्वज जनक की पत्नी सीता की माता । मा०
१.३२४.४ सुनयनी : (१) वि०स्त्री०ब० । सुलोचनियाँ, उत्तम नेत्रों वाली स्त्रियां।
मा० १.२८६.२ (२) संबोधन ब० । हे सुलोचनियो । एहि बिआह बड़ लाहु
सुनायनीं।' मा० १.३१०.७ सुनहि, हीं : आ०प्रब० । सुनते हैं, सुनें । 'जे सकाम नर सुनहिं जे गावहिं ।' मा०
७.१५.३; ७.३२.६ सुनहि : आ०मए । तू सुन । 'सुनहि सूद्र मम बचन प्रमाना।' मा० ७.१०६.८ सुनहुं : आ०-कामना-प्रब० । सुनें । 'सुन हुं सकल सज्जन सुख मानी।' मा०
१.३०.२ सुनहु, हू : आ०मब० । सुनते हो, सुनो। मा० १.७६ 'राजकुमारि सिखावन
सुनहू ।' मा० २.६१.२ सुना : भूकृ०पू० । श्रवण किया। मा० ७.५५.२ सुनाइ : (१) पूकृ० । सुना कर । का सुनाइ बिधि काह सुनावा। मा० २.४८.१
(२) आ०-आज्ञा - मए । तू सुना । 'जाइ अनत सुनाइ मधुकर ज्ञान गिरा
पुरानि ।' कृ० ५२ सुनाइअ : आ० कवा०प्रए० । सुनाइए, सुनाया-यी जाय । 'द्विज द्रोहिहि न सुनाइअ
कबहूं।' मा० ७.१२८.५ सुनाइहि : आ०भ०प्रए । सुनाएगा, बताएगा। 'सो सब तोहि सुनाइहि सोई।'
मा० ७.२१.६ सुनाइहौं : आ०भ० उए० । सुनाऊँगा । 'हौं सब कथा सुनाइहौं ।' गी० १.४८.३ सुनाई : सुनाई+ब० । 'कहि पुरान श्रुति कथा सुनाईं।' मा० २.१६७.३ सुनाई : (१) भूक०स्त्री० । श्रवण करायी, कही, बतायी। 'जो भुसुडि खगपतिहि
सुनाई ।' मा० ७.५२.६ (२) सुनाइ । सुनाकर । 'करहिं कूटि नारदहि
सुनाई ।' मा० १.१३४.३ सुनाउ, ऊ : आ०-आज्ञा+प्रार्थना-मए । तू सुना, कह, बतला। 'कारन मोहि
सुनाउ ।' मा० २.१५; १५१.१ सुनाए : भूकृ.पु । श्रवणगत कराये । मा० ७.२.७ सुनाएसि : आ० - भूकृ.पु+प्रए। उसने सुनाया। 'सबन्हीं बोलि सुनाएसि
सपना ।' मा० ५.११.२ सुनाएहि : आ०-भूकृ० + मए । तूने सुनाया। 'प्रथमहिं मोहि न सुनाएहि
भाई।' मा० ६.६३.४ सुनाएहु : आ०-भ०+-आज्ञा--मब० । तुम सुनाना । 'भरतहि कुसल हमारि
सुनाएहु ।' मा० ६.१२१.२
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