________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
तुलसी शब्द-कोश
होइ बिहीन समोरा ।' मा० ७.६०.७ (५) पांच विषयों में अन्यतम ( स्पर्श - तन्मात्र ) । 'परस रस सब्द गंध अरु रूप ।' विन० २०३.६ / परसपरसइ : (सं० स्पृशति > प्रा० फरिसइ) आ०प्र० । स्पर्श करता है, छूता है, छू सकता है । 'परसै बिना निकेत । वैरा० ३
परसत : (१) वकृ०पु० (सं० स्पृशत् > प्रा० फरिसंत ) । छूता - छ्ते, छूते हो । परसत तुहिन तामरसु जैसें ।' मा० २.७१.८ (२) (सं० परिवेषयत् > प्रा० परिवेसंत) । परोसते, भोजन देते हुए । 'परसत पनवारो फारो ।' विन० ६४.३ परसति : वकृ० स्त्री० । छूती । 'नहिं परसति पग पानि । मा० १.२६५
575
परसपर
परस्पर । मा० १.४२
परसमनि : सं०पु० (सं० परशमणि ) । पारस पत्थर जिसके लिए प्रसिद्ध है कि लोहे को सोना बना देता है । 'तेहि कि दरिद्र परसमनि जा के ।' मा० ७.११२.१
परसा : भूक०पु० । छुआ। 'कर परसा सुग्रीव सरीरा ।' मा० ४.८.६ परसि : पूकृ० । छूकर । 'परसि अखयबट हरषह गाता ।' मा० १.४४.५
परसी : भूकृ० स्त्री० । छुई, स्पर्श पाई हुई । 'नाम बल बिपुल मति मल न परसी ।' विन० ४६.६
परसु : परशू । मा० १.२७२
परसुघर : बि० + सं०पु० (सं० परशुधर ) । कुठार धारी; परशुराम । मा०
१.२८४.६
परसुपानि: परसुधर । गी० ७.१३.५
परसुराम : जमदग्नि मुनि के पुत्र राम जो कुठारधारी होने से 'परशुराम' कहे जाते
हैं । मा० १.२८०
परसें : स्पर्श करने से । परसें पद पापु लहौंगो ।' कवि० ७.१४७
परसे : भूकृ०पु०ब० । छुए । 'सिर पर से प्रभु निज कर कंजा ' मा० १.१४८.८ परसेउ : भूकृ०पु०कए० । छुआ । 'कर सरोज सिर परसेउ ।' मा० ३.३० परसेन : शत्रु की सेना | कवि० ६.४७
परस : परसइ |
परस्पर: क्रि०वि० (सं० ) । एक- दूसरे से, आपस में, आपसी तौर पर । मा०
For Private and Personal Use Only
१.४१.३
परस्यो : परसेउ । 'ज्यों चह पाँवर परस्यो ।' विन० १७०.४
परहि, हीं : आ०प्रब० (सं० पतन्ति > प्रा० पति > अ० पहि) । (१) गिरते हैं । 'घुम घुमि जहँ तहँ महि परहीं ।' मा० ६.८७.६ (२) अधोगति पाते हैं । 'भव कि परहिं परमात्मा बिदक । मा० ७.११२.५ (३) डाले जाते हैं । 'पट पाँवड़े