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तुलसी शब्द-कोश
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बिलखेउ : भूकृ००कए । हैरान हो गया, उदास हुआ। 'सुनत बचन बिलखेउ
रनिवासू ।' मा० १.३३६.७ बिलग : वि० (सं० विलग्न>प्रा. विलग्ग) । अलग, भिन्न । बिलग बिलग होइ
चलहु सब ।' मा० १.६२ 'जल हिम उपल बिलग नहिं जैसे।' मा० १.११६.३ (२) फटा हुआ (विकृत)। 'पय बिलग होइ रसु जाइ ।' मा० १.५७ ख (३) सं०पु । अलगाव, अन्यथा भाव । 'बिलग न मानब मोर जो बोलि
पठायउँ।' जा०म० १७३ 'बिलगा, बिलगाइ, ई : आ०ए० (सं० विलग्नायते>प्रा. विलग्गाइ)। अलग
होता या हो सकता है । 'रामभगति जल मम मन मीना। किमि बिलगाइ।'
मा० ७.१११.६ बिलगाइ, ई : पू० । (१) हटा कर । 'निकसे जन जग बिमल बिधु जलद पटल
बिलगाइ।' मा० १.२३२ (२) विवेचित करके । 'संत असंत भेद बिलगाई... कहहु ।' मा० ७.३७.५ (३) अलग अलग (करके) । 'पुनि पुनि मिलत सखिन्ह
बिलगाई।' मा० १.३३७.८ बिलगाउ : आ-आज्ञा-प्रए० (सं० विलग्नायताम् >प्रा० विलग्गाउ)। अलग
हो जाय । 'सो बिलगाउ बिहाइ समाजा।' मा० १.२७१.५ बिलगाए : भूकृ०००। अलग किये । 'गनि गुन दोष बेद बिलगाए।' मा०
बिलगाती : वकृस्त्री० । अलग होती, भेदभाव ग्रस्त होती। 'बरनत बरन प्रीति
बिलगाती। मा० १.२०.४ बिलगान, ना : भूक००। (१) अलग हुआ, फट गया। 'जौं न हृदउ बिलगान।'
___ मा० १.६७ (२) अलग । 'दसा एक समुहब बिलगाना।' मा० १.६८.२ बिलगाने : भूकृ००ब ० । अलग हो गये । 'निज निज सेन सहित बिलगाने ।' मा०
१.९३.२ बिलगान्यो : भूकृपु०कए० । अलग हुआ। 'जिब जब तें हरि तें बिलगान्यो।'
विन० १३६.१ बिलगायो : भूकृ००कए० । अलग किया गया । 'जनु जल तें मीन बिलगायो।'
गी० २.५६.४ बिलगाव, बिलगावइ : आ.प्रए० (सं० विलगयति>प्रा. विलग्गावइ)। अलग करता है-कर सकता है। 'ज्यों सर्करा मिले सिकता महँ बल ते न कोउ
बिलगावै ।' विन० १६७.३ बिलगाही : आ.प्रब० । अलग हो जाते हैं, पृथक् प्रकट होते हैं । 'जलज जोंक जिमि
गुन बिलगाहीं।' मा० १.५.५
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