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तुलसी शब्द-कोश
बिलंबिय : आभावा० । कुछ देर रुकिए । 'करौं बयारि बिलंबिय बट तर ।' गी०
२.१३.२ बिलंबु : बिलंब+कए० । जरा भी देर या रुकावट । 'बिलंब न करिअ नृप ।'
__ मा० २.४ बिलख : वि० (सं० विलक्ष>प्रा० विलक्ख)। चकित, विभ्रान्त, कर्तव्यमूढ,
__ लज्जित । 'ब्याकुल बिलख बदन उठि धाए।' मा० २.७०.१ बिलखा, बिलाखाइ, ई : आ०प्रए० (सं० विलक्षायते>प्रा० विलक्खाइ)।
बिलखता है, अनमना या लज्जित होता है, संकोच पाता है, मुरझा जाता है ।
'सबै सुमन बिकसत रबि निकसत कुमुदु बिपिन बिलखाई ।' गी० १.१.१० बिलखाइ : पूकृ० । विलक्ष होकर । (१) घबड़ा कर । 'सीता मातु सनेह बस बचन __ कहइ बिलखाइ।' मा० १.२५५ (२) लजा कर । 'साँझ जानि दसकंधर भवन
गयउ बिलखाइ।' मा० ६.३५ ख बिलखात : वक०० (सं० विलक्षायमाण>प्रा० विलक्खंत)। उदास या ब्याकुल
होते । “ए किसोर, धनु घोर बहुत, बिलखात बिलोक निहारे ।' गी० १.६८.८ बिलखान : भूकृ००। विभ्रान्त हो उठा, ठक रह गया, घबड़ाया। 'कुंभकरन
बिलखान ।' मा० ६.६२ बिलखानी : भूकृस्त्री० । लक्ष्यहीन हुई, घबड़ाई। 'भरत मातु पहि गइ बिलखानी।
का अनमनि हसि कह हँसि रानी।' मा० २.१३.५ बिलखाने : बिलखान+ब० । (१) हैरान रह गये+म्लान हो उठे। 'सत्य गवनु
सुनि सब बिलखाने । मनहुं सांझ सरसिज सकुचाने ।' मा० १.३३३.२
(२) म्लान हुए । 'विकसित कंज कुमुद बिलखाने ।' गी० १.३६.३ बिलखावति : वकृ स्त्री० (सं० विलक्षयन्ती>प्रा. विलक्खावंती)। विलक्ष करती,
लज्जित करती । 'उरु करि कर करभहि बिलखावति ।' गी० ७.१७.५ बिलखाहि, हीं : आ०प्रब० (सं० विलक्ष्यन्ते>प्रा० विलक्खंति>अ० विलक्खाहिं)।
बिलखते हैं । (१) हैरान होते हैं, लक्ष्यहीन से रह जाते हैं । 'राम कुभांति सचिव सँग जाहीं । देखि लोग जहँ तह बिलखाहीं।' मा० २.३६.८ (२) बिकल होते हैं, घबड़ाते हैं । 'सुख हरषाहिं जड़, दुख बिलखाहीं।' मा० २.१५०.७ (३) लजाते हैं । 'अस कहि रचे उ रुचिर गृह नाना । जेहि बिलोकि बिलखाहिं
बिमाना ।' मा० २.२१४.४ बिलखि : पूकृ० । बिलख कर, उदास होकर। 'बिलखि कहेउ मुनिनाथ ।' मा०
२.१७१ बिलखित : भूकृ०वि० (सं० विलक्षित) । उदास । 'फिरे बिलखित मन ।' पा०म०
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