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तुलसी शब्द कोश
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नंदन : सं०० (सं.)। आनन्द देने वाला (१) पुत्र । 'अंजनी को नंदन प्रताप भूरि
भानु सो।' हनु० ८ (२) सन्तति (गोत्रापत्य)। 'निसिचर निकर दले
रघुनंदन ।' मा० १.२४.८ नंदनु : नंदन+कए । अद्वितीय पुत्र । 'दसरथ को नंदन बंदि कटैया ।' कवि०
७.५१ नंदलला : कृष्ण। कृ० १२ नंदलाल : कृष्ण । कृ० ३४ नंदिगांव : नंदिग्राम । मा० २.३२४.२ नंदिग्राम : सं०० (सं.) ! अयोध्या के समीप एक गाँव । गी० २.७९.१ नंदिनि : (सं० नन्दिनी) । पुत्री (के अर्थ में प्रयुक्त) । मा० १.३६.१३ ।। नंदीमुख : सं०० (सं० नान्दीमुख)। शुभ कर्मों में प्रथम कर्तव्य श्राद्धविशेष ।
__ मा० १.१६३ नः : सर्वनाम (सं.)। हमारा-री-रे । हमको। मा० ४ श्लो० १ नइ : (१) नई। नवीना। 'यह नइ रीति न राउरि होई।' मा० २.२६७.६
(२) पूकृ० (सं० नत्त्वा>प्रा० नविअ>अ० नवि) । झुक कर, नम्र होकर ।
'बैंचि लेइ नइ नीचु ।' दो० ४७६ नई : नई...पर । 'नई नाव सब मातु चढ़ाई ।' मा० २.२०२.८ नई : (१) वि०स्त्री० (सं० नवा>प्रा० नई)। नवीना । 'विस्व कल कीरति
नई।' मा० १.३२४ छं० ४ (२) भूकृस्त्री० (सं० नता>प्रा० नई) । झुकी। 'सोहत सकोच सील नेह नारि नई है।' गी० १.८५.३ (जिस प्रकार 'नई नारि=नववधू संकोचादि से शोभा पाती है, उसी प्रकार झुकी हुई ग्रीवा
'नारि', सुशोभित हुई)। नउनिया : नाउनि । रा०न० ८ नए : (१) वि००ब० । नवीव । 'सींचत बिरह उर अंकुर नए ।' मा०
२.१७६ छं० (२) अपूर्व । 'निमिष निमिष उपजत सुख नए।' मा० ७.८.६ (३) भृकृ००ब० । झुके, नत हुए । 'सानुज भरत सप्रेम राम पायन्ह नए।'
जा०म० ३० नकबानी : सं० स्त्री० । नाक से बोलने या पानी पीने की क्रिया जब कण्ठरोध की
स्थिति होती है । (मुहावरा) संकट दशा (नाक चना), विकट उलझन । 'तिन
रंकन को नाक सँवारत हौं आयों नकबानी।' विन० ५.३ नकीब : सं०० (अरबी-नकीब)। सेना का अग्रणी जो सावधान एवं शूर-वीर
होने के साथ (स्वराष्ट्र तथा परराष्ट्र) के लोगों की पूरी जानकारी रखता हो। 'बोलत पिक नकीब ।' कृ. ३२