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तुलसी शब्द-कोश
तोरन : सं०० (सं० तोरण) (१) बहिरि, फाटक । (२) मङ्गलोत्सव में बनाया
सजाया कृत्रिम द्वार । मा० १.१६४.१ तोरब : (१) भकृ०० (सं० तोडितव्य>प्रा० तोडिअव्व)। तोड़ना । 'रहउ
चढ़ाउब तोरब भाई ।' मा० १.२५२.२ (२) तोड़ना होगा (तोड़ेंगे) । 'राम
चाप तोरब, सक नाहीं ।' मा० १.२४५.२ तोरहीं : आ०प्रब० (सं० तोडन्ति>प्रा० तोडंति>अ० तोडहिं)। तोड़ते हैं ।
'बिलोकि सब तिन तोरहीं।' मा० १.३२७ छं०१ तोरहुं : आ०-कामना-प्रब० (ईश्वर करे कि) तोड़ डालें, तोड़ सकें। 'ती सिव
धनु मनाल की नाईं। 'तोरहुं राम गनेस गोसाई।' मा० १.२५५.८ तोरा : (१) तोर । तोरा । 'कृष्न तनय होइहि पति तोरा।' मा० १.८८.२
(२) भकृ.पु०ए० (सं० तोडित >प्रा० तोडिअ)। तोड़ा, खण्डित किया ।
तेहि छन मध्य राम धनु तोरा।' मा० १.२६१.८ तोराइ : पूकृ० (सं० तोडयित्वा>प्रा० तोडाविअ>अ. तोडावि) । तुड़ा कर,
बन्धनविच्छेद करके । 'बागुर विषम तोराइ मनहुं भाग मगु भागबस ।' मा०
२.७५ तोराई : वि०स्त्री० (सं० त्वरावती) । द्रुतगामिनी । (२) (सं० त्वरयित्त्वा>प्रा०
तोराविअ>अ० तोरावि) । शीघ्रता करके । 'छुद्र नदी भरि चली तोराई ।' मा० ४.१४.५ (यहाँ 'तोराइ' वाला अर्थ भी है-जिस प्रकार क्षुद्र स्त्री मर्यादा
तोड़कर चलती है, उसी प्रकार नदी सीमा तोड़कर बह चली) तोरावति : वि०स्त्री० (सं० त्वरावती)। द्रुतगामिनी+ (सं० तोडयन्ती>प्रा.
तोडावंती) मर्यादा भङ्ग करने वाली =सीमा तोड़कर शीघ्र गति लेती हुई। ____ बिषम बिषाद तोरावति धारा।' मा० २.२७६.३ तोरि : (१) सार्वनामिक वि०स्त्री० । तेरी। 'भूपं प्रतीति तोरि किमि कीन्ही ।'
मा० २.१६२.३ (२) पूकृ० (सं० तोडयित्वा>प्रा० तोडिअ>अ० तोडि)।
तोड़कर। संभु सरासन तोरि सठ करसि हमार प्रबोधु ।' मा० १.२८० तोरिए : आ०कवा०प्रए० (सं० तोड्यते>प्रा० तोडीअइ) । तोड़ा जाय । 'तुलसीस
तोरिए सरासन इसान को।' गी० १.८८.५ तोरिबे : भूकृ.पु । तोड़ने । 'मैं तव दसन तोरिबे लायक ।' मा० ६.३४.१ तोरिहिं : आ०भ० प्रब० (सं० तोडिष्यन्ति>प्रा० तोडिहिंति>अ० तोडिहिहिं)। ___तोड़ेंगे । 'तमकि ताहि ए तोरिहिं कहब महेस ।' बर० १५ तोरी : भूकृ०स्त्री०ब० । तोड़ी, उच्छिन्न की। 'बहु धनहीं तोरी लरिकाई ।' मा०
१.२७१.७ तोरी : (१) तोरि । तेरी । 'अस्तुति तोरी केहि बिधि करौं ।' मा० १.१६३ छं.