________________
344
तुलसी शब्द-कोश
जानकोजानि : वि.पु. (सं०-जानकी जाया यस्य । जानकी जानि:)। जानकी
जिनकी पत्नी हैं=राम । 'गढ़ गति जानकी-जानि जानी।' विन० ३६.४
(जायार्थक 'जानि' समासान्त में ही आता है) जानकी जीवन : सीता के प्राणाधार=राम । कवि० ७.४२ जानको जीवन : कए० । एक मात्र राम । :जानकीजीबनु जान न जान्यो। कवि०
७.३६ जानकीस : (सं० जानकीश)। राम । हनु० १२ जानकीसु : कए । कवि० ७.१२१ जानत : वक०० (सं० जानत्>प्रा० जाणंत)। जानता, जानते । 'जानत हौं
कछु भल होनिहारा ।' मा० १.१५६.७ जानती हूं : जानते हुए भी । 'जानत पूछि कस स्वामी।' मा० ३.६७ जानति : जानत+स्त्री० (सं० जानती>प्रा० जाणंती)। मा० ७.२४.४ जानन : सं०पू० (सं० ज्ञान>प्रा० जावण) । प्रत्यय, बोध । 'जानें जानन जोइये ।' . दो०६८ जाननिहार, रा : वि०पु । जानकार, जानने वाला। 'और तुम्हहि को जान
निहारा ।' मा० २.१२७.२ जाननिहारी : वि०स्त्री० । जानने वाली । 'पिय हिय की 'सिय जाननिहारी।' मा०
२.१०२.३ जाननिहारे : वि०००। जानने वाले । 'जे महातम जाननिहारे ।' कवि०
७.१४५ जानपनी : सं०स्त्री० (सं० ज्ञत्व>प्रा० जाणत्तण>अ० जाणप्पण == जाणप्पणी)।
विवेकशीलता । 'दम दान दया नहिं जानपनी ।' मा० ७.१०२.६ जानब : भकृ०० (सं० ज्ञातव्य>प्रा० जाणि अव्व)। जानना । (१) जानना
चाहिए। 'सो जानब सतसंग प्रभाऊ ।' मा० १.३.६ (२) जाना जायगा,
समझ में आयगा। 'जानब से सब ही कर भेदा।' मा० ७.८५.८ जानबि : जानिबी। जाननी चाहिए। गौरि सजीवन भूरि भोरि जियें जानबि ।'
पा०म० १४२ जानमनि : दे० जान तथा मनि) ज्ञानियों में श्रेष्ठ । कवि० ७.१५ जानराय : (दे० जान तथा राय) ज्ञानियों में श्रेष्ठ । गी० १.३८.१ जानसि : आ०मए० (सं० जानासि>प्रा० जाणसि)। तू जानती-ती-है । 'जानसि ___ मोर सुभाउ बरोरू ।' मा० २.२६.४ जानसिरोमनि : ज्ञानियों में श्रेष्ठ । मा० १.२८.१० जानहिं : आ०प्रब० (सं० जानन्ति>प्रा० जाणंति>अ० जाणहिं) । जानते हैं ।
'ते जानहिं सब भेउ ।' मा० १.१३३