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तुलसी शब्द-कोश
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जम जातनामई : (दे० मई) । यमयातना से व्याप्त, नरक की प्रचुरता। कीजै मो
को जम जातनामई ।' विन० १७१.१ जमदूत, ता : सं०० (सं० यमदूत)। मृत्यु-सन्देशवाहक देवविशेष ।' मा०
२.८३.७ जमधार : (१) सं०० (सं० यमधार) । दुधारी तलवार । (२) सं०स्त्री० (सं०
यमधारा) । यमराज की सेना, धारा प्रवाह यमदूतों की श्रेणी । 'जमधार सरिस
निहारि सब नर नारि चलिहहिं भाजि के ।' पा०म० छं० ७ जमघारि : जमधार । 'करि बिचार भव तरिय, परिय न कबहुँ जमधारि ।' विन०
२०३.१८ जमन : (१) यवन । मा० २.१९४ (२) मेच्छ, मुस्लिम । 'जमन महा महिपाल ।'
दो० ५५६ जमनिका : सं०स्त्री० (सं० जवनिक=यमनिका)। आवरण, पर्दा, (नाटक का
पर्दा) । 'हृदयें जमनिका बहु बिधि लागी।' मा० ७.७३.८ जमपास : सं०पु० (१) सं० यमपाश>प्रा० जमपास) । मृत्यु जाल । (२) (सं०
यमपार्श्व>प्रा० जमपास) । मृत्यु के समीप । 'नामु रटो, जम-पास क्यों जाउँ,
को आइ सकै जम किंकरु नेरें।' कवि० ७.६२ जमपुर : सं०० (सं० यमपुर)। यमलोक । मा० १.२८०.६ जमराज : सं०० (सं० यमराज)। यमदेव, मृत्युदेव । रा०प्र० ५.३.६ जमात : सं०स्त्री० (अरबी-जमाअत) । यूथ, समुदाय । 'जोगि जमात बरनत __ नहिं बने ।' मा० १.६३ छं. जमाति : जमात । 'जोगिनी जमाति कालिका कलाप तोषि हैं।' कवि० ६.२ जमाती : (१) जमाति (२) जमात या मण्डली बनाकर रहने वाला। 'जती जमाती
ध्यान धरै ।' कवि० ७.१०६ जमानो : संपु०कए० (फा० जमानः) । युग, कालखण्ड, दौर । 'जाहिर जहान में
जमानो एक भांति भयो।' कवि० ७.७६ जमालय : सं०० (सं० यमालय) । यमलोक, नरक । विन० १४४.२ /जमाव जमावइ : (१) (सं० यम यति>प्रा० जमावइ-स्थिर करना, रोपना,
घमीभूत करना (२) सं० जनयति-जन्मयति >प्रा० जम्मावइ-उत्पन्न करना) आ०प्रए । स्थिर करे+घनीभूत करे (दूध से दही करने का उपक्रम
करे) । 'धृति सम जावन देइ जमाव ।' मा० ११७.१४ । जमिहहिं : आ०भ० प्रब० (सं० जनिष्यन्ते>प्रा. जम्मिहिंति>अ० जम्मिहहिं) ।
जमेंगे, उगेंगे । 'जमिहहिं पंख करसि जनि चिता।' मा० ४.२८.६