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तुलसी शब्द-कोश
गुनगाहक : गुन गाहक + कए० । अनन्य गुण ग्राही । मा० १.२६८.३ गुनग्य : वि० (सं० गुणज्ञ ) । गुणों का ज्ञाता, विद्वान् । मा० ४.२३.७
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"नाही : वि०पु० (सं० गुण ग्राहिन् ) । गुन गाहक । ' मधुकर सरिस संत गु ग्राही ।' मा० १.१०.६
गुनत : व०कृ०पु० (सं० गुणन > प्रा० गुणंत) । (१) सोच बिचार करता-करते । 'सिथिल सनेहँ गुनत मन माहीं ।' मा० २.२६२ . २ ( २ ) गुणन ( गणित ) करता-ते । 'हनत गुनत गनि गुनि हनत जगत जोतिषी काल ।' दो० २४६
गुनति: गुनत + स्त्री० । सोच बिचार करती । कृ० ६०
गुनद : वि० (सं० गुणद ) । गुणदायक, लाभकारी । 'बिबुध धारि भइ गुनद गोहारी ।' मा० २.३१७.३
गुनधाम : सभी गुणों से सम्पन्न, कल्याणकारी गुणों से युक्त ।
गुनधामा : गुनधाम । मा० ६.१७.६
गुनि : गुन + संब० । गुणों (से) । 'कालकर्म गुननि भरे । ' मा० ७.१३.छं० २ गुननिधि : (१) गुनाकर । गुण सम्पन्न । मा० ५.१७.३ (२) पौराणिक कथा में एक ब्राह्मण का नाम । 'कवनि भगति कीन्ही गुननिधि द्विज ।' विन० ७.३ गुनमंदिर: गुणधाम मा० १.१८६. छं०
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गुनमय: वि० (सं० गुणमय) । (१) गुणरूप, गुणों का मूर्तरूप + ( २ ) सूत्ररूप = सदाचारादिरूप धागों से पूर्ण । 'साधु चरित सुभ चरित कपासू । निरस बिसद गुनमय फल जासू । मा० १.२.५
गुनमई : गुनमय + स्त्री० । गुण युक्त = त्रिगुणात्मिका । 'जा की विषम माया गुनमई ।' विन० १३६.४
गृनरहित: प्रकृति के तीन गुणों से परे ( फिर भी कल्याण गुण युक्त ) | निर्गुण ( + सगुण ) ; विरुद्धनानाधर्माअय = ब्रह्म । वैरा० ४ (२) काव्य के गुणों से शून्य । 'सब गुनरहित कुकबिकृत बानी ।' मा० १.१०.५
गुनरासी : (दे० गुनरहित ) । गुणों का पुञ्ज । सर्व कल्याण गुणाअय । 'चिदानंदु निर्गुन गुनरासी । १.३४१.६
गुनवंत, ता: विοपुं०
(सं० गुणवत् > प्रा० गुणवंत ) । गुण युक्त | मा०
७.६८.६
गुनवान : गुनवंत । नु० ८
गुनवारि : वि०स्त्री० । गुणों वाली, कल्याण गुण सम्पन्न । 'स्यामघन गुनवारि छबि
मनि मुरलि तान तरंग ।' कृ० ५४