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तुलसी शब्द-कोश
कहें : अव्यय (१) (सं० कुत्र>प्रा० कहिं, कह) । कहाँ, किस स्थान पर । 'कहाँ
लखनु कहें राम सनेही।' मा० २.१५५.२ (२) (सं० कृते=अ० केहिं) । के
लिए, के प्रति, को । 'तुम्ह कहँ नाथ निहोरा नाहीं।' मा० ३.१२.३ कहरत : वकृ०० । कष्ट-ध्वनि करते, कराहते, 'कहँ' ख करते । 'कहरत भटः
घायल तट गिरे ।' मा० ६.८८.४ कह : (१) कहइ । कहता है । 'गाधिसून्ड कह हृदय हँसि ।' मा० १.२७५ (२)
कहा । क्या । 'कहा लाभ कह हानि ।' विन० १६०.५ कहंत, ता : वकृ० पुं० (सं० कथयत् >प्रा. कहत) । कहता हुआ । 'सापत ताड़त
'परुष कहता।' मा० ३.३४.१ कह, कहइ, ई : (सं० कथयति-कथ वाक्य प्रबन्धे>प्रा० कहइ-कहना, वाक्य
बोलना) आ०प्रए० । कहता है । 'उर धरि धीर कहइ गिरिराऊ ।' मा०
१.६८.८ 'सुरसरि कोउ अपुनीत न कहई ।' मा० १.६६.७ कहउं, ऊँ : आ० उए० (सं० कथयानि>प्रा. कहमि>अ. कहउँ)। कहता हूं,
कहती हूं। :तदपि एक मैं कहउँ उपाई ।' मा० १.६६.१ कहउ : आ०-संभावना-प्रए० (सं० कथयतु>प्रा. कहउ)। (कोई) कहे । ___'लोग कहउ गुर साहिब द्रोही ।' मा० २.२०५.१ कहत : कहंत । कहता, ते । 'कहत रामसिय रामसिय ।' मा० २.२०३ कहति : वकृ० स्त्री० । कहती। कह रही। मा० २.१६०.७ कहतु : कहत+कए । अकेला कह रहा । 'कहतु हौं सौहैं किएँ ।' मा० २.३०१छं० कहते : क्रियाति० पु०ब० । यदि कहते 'तो । 'जौं 'भजन प्रभाउ न कहते...।'
विन० ६७.३ कहतेउ : क्रियाति० पु. उए । तो मैं कहता । 'कहतेउँ तोहि समय निरबहा ।'
मा० ६.६३.७ कहन : भकृ० अव्यय (सं० कथयितुम्>प्रा० कहिउ>अ. कहण) । कहना, कहने
(कह) । 'प्रभु सनमुख कुछ कहन न पारहिं ।' मा० ७.१७.४ 'लगे कहन हरि
कथा रसाला ।' मा० १.६०.५ कहनि : सं०स्त्री० (सं० कथन >प्रा० कहण) । कहने की क्रिया । 'कहनि हीय मुख __राम ।' वैरा० १७ कहनी : किहनी । कहानी। कहब : भू००० (सं० कथयितव्य>प्रा० कहिअव्व) । कहना (है, होगा), कहा ___ जायगा । 'अब कछु कहब जीभ करि दूजी।' मा० २.१६.१ कहबि : कहव+स्त्री० । कहनी होगी । 'हमहुं कहबि अब ठकुर सोहाती।' मा०
२.१६.४