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तुलसी शब्द-कोश
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करे : भूक०० (ब०) । किये, बनाये । 'मानो बिधि बिबिध बिदेह करेरी।' गी०
१.७६.१ करेजो : भूक००कए० (सं० कालेयकम् >प्रा० कालेज्जअं>अ० कालेज्जउ)।
कलेजा, हृदयखण्ड । 'करेजो कसकतु है ।' कवि० ६.१६ करेरी : वि०स्त्री० । अति कठोर, अधिक कड़ी। 'बात कहत करेरी जी।' कवि०
६.१० करेरो : वि०पु०कए । अत्यन्त कड़ा, कठोर (महँगा)। 'मोल करत करेरो।'
विन० १४६.२ करोसि : आ० – भूक पु०+प्रए० । उसने किया । 'नाना भाँति करेसि दुर्बादा ।'
मा० ६.५१.५ करेसु : आ०-भ+आज्ञा+मए० । तू करना। 'करेसु अचल अनुराग।' मा०
८.८५ ख करेहु, ह : आ०-भ+प्रेरणा+मब० । तुम करना । 'करेहु सो जतनु बिबेक
बिचारी।' मा० १.५२.३ करें : (१) करहिं । करते हैं । 'साखोच्चारु दोउ कुलगुरु करै ।' मा० १.३२४.
छं० ३ (२) भक० अव्यय (सं० कर्तुम् >प्रा० करिउं) । करने । 'मन महुं
सरक करै कपि लागा।' मा० ५.६.२ करेंगे : आ० भ०प्रब० । 'प्रभु''अभय करेंगे तोहि ।' गी० ६.१.६ कर : (१) करइ । करे, कर सकता है । ' जड़ जीवन को करै सचेता।' वैरा० ।
'क्यों कर बिनय बिदेहु ।' मा० १.३२४.छं० ४ (२) भक० अव्यय । करने । ___ 'आए करै अकंटक राजू ।' मा० २.२२८.५ करंगो : आ० भ० प्रए । करेगा । 'अभय करेगो तोहि ।' मा० ६.२० करया : वि० । करने वाला । हनु० ४४ करहहु : आ०भ०मब० । करावोगे । 'हँसी कहहु पर पुर जाई ।' मा० १.६३.१ करो: करउ । वह करे । 'जो जेहि रुचै करो सो।' विन० १७३.२ करोरि, री : कोरी । करोड़ (संख्या)। मा० २.१८७.३ करौं : करउँ । करूं, कर सकता-ती-हूं। 'करहि बिचारु करौं का भाई ।' मा०
१.५२.४ करौंगी : आ०भ० स्त्री० उए० । करूँगी। गी २.८.२ करौंगो : आ०भ०० उए० । करूँगा । 'के न आयों, करौं न करौंगो करतूति भली।'
कवि० ७.६५ करौ : (१) करहु । तुम करो। 'घरी करौ हम ज़ोही ।' कृ० ४१ (२) करउ ।
वह करे । 'सो करी बेगि सँभार श्रीपति ।' विन० १३६.४