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तुलसी शब्द-कोश
करन - बिभूषन । मा० १.२०.६ (५) सं०पु० (सं० कर्ण) । महाभारत में दुर्योधन का मित्र, कुन्तीपुत्र राधेय जो दान के लिए पुराण- प्रसिद्ध है । दो० - ३८२ (६) भकृ० अव्यय । करना, करने। 'करन चहुँ रघुपति गुनगाहा ।' मा० १.८.५ 'करन लगे बड़ जाग ।' मा० १.६०
करनघंट : सं ० स्त्री० (सं० कर्णघण्टा ) । काशी में तीर्थ विशेष । विन० २२.४ करनधार : सं०पु० (सं० कर्णधार ) । नाविक, मल्लाह । मा० २.१५४.६ करन बेध : सं०पु० (सं० कर्णवेध ) । कनछेदन, शिशु के कान छेदने का कर्म ।
मा० २.१०.६
करनहार : वि० (सं० करनधार > प्रा० करणहार — करणः नृत्यमुद्रा - विशेष ) । नृत्य करने वाली । 'करनहार वारपार पुर पुरंगिनी ।' गी० २.४३.३ करना : करन । करने । 'जाइ बिपिन लागीं तपु करना ।' मा० १.७४.१ करनि : (१) सं० स्त्री० । करने की रीति, कर्म, क्रिया । "हित जो करत अनहित की करनि ।' कृ० ३० (२) वि०स्त्री० । करने वाली । 'मंगल करनि कथा रघुनाथ की ।' मा० १.१० छं० (३) करन्हि । हाथों (से) । ' अपने करनि गाँठ गहि दीन्हीं ।' विन० १३६.३
करनिहार : वि०पु० । करने वाला (सृष्टा ) । बिधि से करनिहार ।' गी०
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२.२५.२
करनी : (१) सं० स्त्री० । करने की रीति, क्रिया, करतूत, कार्य । 'आपहुं तें सब आपनि करनी ।' मा० २.१६०.८ (२) वि०स्त्री० करने वाली । 'राम कथा जग मंगल करनी ।' मा० १.१०.१०
करनीया : भकृ० (सं० करणीय) । (१) करना ( होगा ) । 'अबधौं बिधिहि काहकरनीया ।' मा० १.२६७.७ (२) कर्तव्य, करने योग्य । 'सोइ रघुबरहि तुम्हहि करनीया ।' मा० २.६६.७
करनू : करन + कए० । एकमात्र करने वाला । 'मधुर मंजु मुद मंगल करनू ।' मा०
२.३२६.५
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कर न्हि : कर + संब० । हाथों (में) । 'कमल करन्हि लिएँ मात ।' मा० १.२४६ करपुट : सं०पु ं० (सं० ) । हाथों की संपुटित अञ्जलि | गी० १.६.२० करब : भकृ०पु ं० (सं० कर्तव्य > प्रा० करिअत्व) । करना, करने योग्य, करना होगा ( करूंगा आदि) । ' तदपि करब मैं काजु तुम्हारा । मा० १.८४.२
करबाल : सं०पु०+ स्त्री० (सं० करवाल, करवालिका) । करौली, कृपाण | मा० ६.१०१ छं० २
करबि : करब + स्त्री० । करनी ( होगी ) । ' भाषाबद्ध करबि मैं सोई ।' मा १.३१.२