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तुलसी शब्द-कोश करतारु : करतार+कए० । ईश्वर, देव । ‘भयो करतारु बड़े कूर को कृपालु ।'
कवि० ७.६६ करताल : सं० पु. (सं.) । (१) हथेली। 'कबहूँ करताल बजाइ के नाचत ।'
कवि० १.४ (२) हाथों से बजाया जाने वाला वाद्य विशेष । 'भट कपाल
करताल बजावहिं ।' मा० ६.८८.८ करतालिका : सं०स्त्री० (सं०) । करतल वाद्य, थपेड़ी। 'उड़त बिहग सुनि ताल
करतालिका ।' विन० ४८.२ करति : वक०स्त्री० (सं० कुर्वती>प्रा० करती) । करती। 'करति बिलाप मनहिं
__ मन भारी।' मा० ६.१००.४ करतु : करत+कए । 'करि बीत्यो अब करतु है ।' विन० १६०.४ करतूति, ती : सं०स्त्री० (सं० कर्त त्व) । (१) करनी, कर्म । 'ऊँच निवासु नीति
करतूती ।' मा० २.१२.६ (२) चा लढाल, व्यवहार। 'देखि बूझि करतूति ।' मा० २.२७१ (३) कर्मकौशल, कर्तव्यनिष्ठा । 'जनक सनेहु सील करतुती।' मा० १.३३२.१ (४) रचना, सर्जना, कला-कौशल । 'जनु एतनिअ बिरंचि
करतूती।' मा० २.१.५ करते : (१) वकृ००ब० । ‘पद पंकज प्रेम न जे करते।' मा० ७१४.१०
(२) क्रियातिपु०बहु० । यदि तो करते । 'जों रघुबीर होति सुधि पाई। ___ करते नहिं बिलंब रघुराई ।' मा० ५.१६.१ ।। करतेउँ : क्रियाति.पुउए । तो मैं करता । 'बूढ़ भयउँ न त करतेउँ कछुक सहाय
तुम्हार ।' मा० ४.२८ करतेहु : क्रियाति पु०मब० । यदि तुम करते। 'करतेहु राजु त तुम्हहि न दोषू ।'
मा० २.२०७.८ करतो : क्रियाति००ए० । यदि करता। 'जो पं चेराई राम की करतो, न ____ लजातो।' विन० १५१.१ करदा : वि० (१) (सं० कर्ता=फा० कर्द किया)। करने वाला (?)। (२) (सं०
करद) । सहायक, समान, सहभागी । 'रांक-सिरोमनि काकिन भाग, बिलोकत
लोकप को करदा है।' कवि० ७.१५५ करन : (१) सं०० (सं० करण) । करने की क्रिया। 'करन पुनीत हेतु निज
बानी।' मा० १.३६१.८ (२) सं०० (सं० करण)। उपकरण, साधन । इन्द्रिय-जो अन्त:करण =चित्त, मन, बुद्धि और अहंकार तथा बाह्यकरण = चक्षुः, घ्राण, श्रोत्र, रसना और त्वक् हैं। विषय करन सुर जीव समेता।' मा० १.११७.५ (३) वि०० । करने वाला। 'सकल बिस्ब कारन करन ।' मा० १.२०८ ख (४) सं०० (सं० कर्ण) । कान, श्रवण । 'भगति सुतिय कल