________________
तुलसी शब्द-कोश
करकें : करक + बहु० । बरतें, घर्षण जनित उभरी रेखाएँ । 'बारहि बार अमरषत करषत करके परी सरीर ।' गी० ५.२२.८
129
करगत : वि० (सं० ) । हस्तगत, हाथ में उपस्थित | अपने अधीन, स्वर्वश । 'करगत बेद तत्त्व सब तोरें ।' मा० १.४५.७
करछुली : सं० स्त्री० । रसोई का उपकरण विशेष जिसे चावल आदि परोसने में काम लाते हैं । दो० ५२६
करज: सं०पु० (सं० ) । अँगुली । 'अरुन पानि न करज मनोहर ।' मा० ७.७७.१ करटन : सं०पु० (सं० करट) । कौआ पक्षी । 'कटु कुठायें करटन रहि ।' रा०प्र०
३१.५
करत : वकृ०पु० (सं० कुर्वत्... प्रा० करंत ) । करता ते । मा० ७.७७ ख
करतब : सं०पु० (सं० कर्तव्य ) । (१) कार्य, काम, करनी । 'करतब बायस बेष
मराला ।' मा० १.१२.१ (२) खेल, कौतुक, जादू । कृ० ३६ (३) लीला, प्रपञ्च । 'बिधि करतब उलटे सब अहहीं ।' मा० २.११९.४ (४) छलपूर्ण कार्यं । 'मोहि न मातु करतब कर सोचू ।' मा० २.२११.४
करतबउ : करतब भी, कार्यकलाप भी । 'बचन बिकार करतबउ खुआर ।' कवि०
1
७.६४
करतबु : करतब + कए० । धोखाधड़ी का अनोखा कर्म । 'जों अंतहुं अस करतब रहेऊ ।' मा० २.३५.४
करतब्य : वि०कृ०पु० (सं० कर्तव्य ) । अवश्यकरणीय, विहित (कर्म) । मर्यादानुगत कार्य, इतिकर्तव्यता वाले कार्य । 'सब बिधि सोइ करतब्य तुम्हारें । मा०
२.६६.२
करतल : सं०पु ं० (सं०) । (१) हथेली । 'करतल गत न परहिं पहिचाने ।' मा० १. २१.५ (२) वशीभूत ( हाथ में ), अधीन । 'चारि पदारथ करतल ताकेँ ।' मा० २.४६.२
करतहि : कर्ता को । विधाता को । मा० २.२६५.८
करता : वि०कृ०पु० (सं० कर्ता ) । करने वाला, विधाता,
1
४१४
करतार : करता । विधाता, ईश्वर । 'होनिहार का करतार ।' मा० १.८४ छं० करतारा : करतार । मा० ६.१८.६
निर्माता, सृष्ठा ।
दो०
करतारी : सं०स्त्री० (सं० करताली) । (१) हाथ की हथेड़ी ( हस्तध्वनि विशेष ) । (२) करताल या चंग, ताल देने हेतु हाथ से बजाया जाने वाला वाद्य विशेष । ! राम कथा सुंदर करतारी ।' मा० १.११४.१