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तुलसी शब्द-कोश
ऐक : सं०पु० (सं० ऐक्य) । (१) एकत्व, एकरूपता, अत्यन्त समानता। कीन्ह
बहुत अम ऐक न आए।' मा० २.१२०.६ (२) मेल, सामञ्जस्य, संगति ।
‘सकहिं न सेइ ऐक नहिं आवा ।' मा० २.२७६.४ ऐन : अयन । घर, भाण्डार । 'बिहसे करुना ऐन ।' मा० २.१०० ऐनी : ऐन+स्त्री० । खानि । 'सीय सुमंगल ऐनी।' गी० १.८१.२ ऐपन : सं०० (प्रा० आइप्पण) । हल्दी और चावल के पीछे का मिश्रित द्रव ।
दो० ४५४ ऐश्वर्य : सं०० (सं.)। (१) सम्पत्ति, वैभव (२) ईश्वरत्व (३) श्रेष्ठता
(४) ईश्वरीय गुणकर्म व्यापकत्व, सर्वज्ञत्व, सर्वकर्तृत्व, सत्य संकल्प आदि
कल्याण गुण । विन० ६१.६ ऐसा : वि०पु० (सं० ईदृश>प्रा० एरिस>अ० अइस) । मा० ५.२६.५ ऐसि : ऐसी । मा० ६.६६.२ ऐसिअ : (१) ऐसी ही । ऐसिअ प्रस्न बिहंगपति कोन्हि ।' मा० ७.५५ (२) ऐसी।
कवि० ६.२१ ऐसिउ : ऐसी भी । 'ऐसिउ पीर बिहसि तेहिं गोई ।' मा० २.२७.५ ऐसिह : ऐसिउ । विन० १३६.८ ऐसी : वि०स्त्री० (सं० ईदृशी>प्रा० एरिसी>अ० अदृसी) । कवि० ७.११ ऐसे : क्रि०वि० । इस प्रकार से । 'जासु बियोग बिकल पसु ऐसें।' मा० २.१००.१ ऐसे : ऐसा+बहु० । इस प्रकार के । मा० २.१११.७ ऐसेइ : (१) ऐसा ही। 'ऐसेइ होउ कहा सुखु मानी।' मा० १.८६.५ (२) ऐसे
ही। ‘ऐसेइ संसय कोन्हि भवानी।' मा० १.४७.८ ऐसेउ, ऊ : ऐसे भी । 'ऐसेउ प्रभु सेवक बस अहई ।' मा० १.१४४.७ ऐसेहिं : इसी प्रकार । मा० १.२३६.३ ऐसेहुँ, हु, हूं, हू : ऐसे भी, ऐसे में भी। ऐसेहुं पति कर किएं अपमानाए मा. .. ३.५.६, 'ऐसेहुं दुख जो राख मम प्राना।' मा० ६.६६.१० ऐसो : ऐसा+कए । 'नहिं जानत ऐसो को है ।' कृ० ३५ ऐसोई : ऐसा ही। कवि० ७.७७