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तत्त्व-समुच्चय
९- परिग्रहत्याग
मोण वत्थमत्तं परिग्गहं जो विवज्जए सेसं ।
तत्थ विमुच्छं ण करइ जाणइ सो सावओ णवमो ॥ ३३ ॥ २९९ १० - अनुमतित्याग
पुट्टो विय यियेहि म परेहिं लोयेहिं सगिहकज्जम्मि । अणुमणणं जो ण कुणइ वियाण सो सावओ दसमो ॥ ३४ ॥ ३०० ११ - उद्दिष्टत्याग
एयारसम्म ठाणे उक्किट्टो सावओ हवे दुविहो । arraad पढमोकोवीणपरिग्गहो विदिओ ॥ ३५ ॥ ३०१ 'धम्मिल्लाणं चयणं करेs कत्तरि छुरेण वा पढो । ठाणासु पडिलेes उवयरणेण पयडप्पा || ३६ || ३०२ भुंजइ पाणिपत्तम्मि मायणे वा सुई समुट्ठो । उववासं पुणं णियमा चउब्विहं कुणइ पब्वे ॥ ३७ ॥ ३०३ एवं वीओ होई णवर विसेसो कुणिज्ज नियमेण । लोचं धरिज पिच्छे भुजिज्जो पाणिपत्तम्मि ॥ ३८ ॥ ३११
[ वसुनन्दिकृत श्रावकाचार ]
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