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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra W www.kobatirth.org तप ( तब ) ६ -- १ तमानिवृनमोजित्व ( ततानित्युइगोइत ) - मुनि के लिये व ४३ तम पुद्गल पर्याय ९-११ तमःप्रभा ( मपहा ) - छठा नरक १-८ तस्करप्रयोग ( तक्करजोग) - अचौर्याशुवत का अतिचार २-११ १५३ तारक ( तारय ) - दूसरे प्रतिनारायण १-५४ तिर्यग्दिशाप्रमाणातिक्रम ( तिरियदिसायमाणाइकम ) - दिनत का अतिचार, २- २२ क -- तिर्यंचगति (तिरिक्व - ) १२-३ तिर्यंचायु ( तिरिक्वाऊ ) - आयुकर्म का भेद १०-१२ ७-२५ तीव्रकषाय ( तिब्वकसाय ) तुच्छ औषधि (तुच्छोसद्दि ) तृणस्पर्श परीषह - ८-३४, ३५ उ. प. परिमाण व्रत का अविचार २-२४ तृषा- परीषद् ८-४, ५ तेज ( तेउ ) - एकेन्द्रिय जीव-भेद ९-९ तेजस ( तेज ) त्यक्त (चत्त ) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पीत लेश्या १२-५० काय का भेद १२-२० जायक शरीर नोआगम द्रव्यनिक्षेप भेद १६-८ धर्माग ६-१ लाग नाम ) त्रस (तम ) - कायभेद १२-६ सजीव (तम ) ९-९ बसवध ( तसबह ) - ११ - १० त्रिगुप्त (तिगुत्त ) मन, वचन, कार्य में संयत ४-११ त्रिपृष्ठ ( तिविड ) - पहले नारायण १-५३ त्रिलोकप्रज्ञप्ति (तिलोयपण्णत्ति ) - ग्रंथनाम १ - १ त्रिविधाहार ( तिविहाहार ) ३-१८ त्रीन्द्रिय जीव ९-१ For Private And Personal Use Only
SR No.020812
Book TitleTattva Samucchaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherBharat Jain Mahamandal
Publication Year1952
Total Pages210
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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