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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org १५१ गौणमुख्य भाव (गणमुक्ख - ) १४- १४ गौतम ( गोदम ) - २४ वें तीर्थंकर महावीर के प्रमुख गणधर, वीर के निर्वाण दिन पर केवल ज्ञान-प्राप्ति १-६५ ग्रह (गह ) - ज्योतिषी देव १-१४ - व्रतप्रतिमा का अंग ३--१२ ग्रंथ परिमाण (गंध - ) ग्रंथिसत्त्व (गठियमत्त ) अभव्य जीव ३-१२ ग्रैवेयक (गेवेज ) - स्वर्गों के ऊपर के देव १-२३ घ घर्मा (म्मा ) पहली पृथ्वी का गोत्र नाम १-९ त्राणनिरोध (वाण) - ५-१९ - Pala च चक्रवर्ती ( चक्कर ) १-५१ चक्षु-आवरण दर्शनावरण कर्म का मेड १०-६ चक्षुदर्शन ( चक्खुदंसण ) - ९-४; १२-२८ चक्षुनिरोध (चक्- ) चक्षुष्मान ८ वें कुलकर व मनु, ए. ७ दि. चतुरिन्द्रिय जीव चतुर्मुख (चन्ह ) - ५-१७ ९-९ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir राज्यकाल ४२ वर्ष १-७० कल्की इन्द्र का पुत्र, आयु ७० चन्द्र ( चन्दा ) - ज्योतिषी देव १-१४ चन्द्रप्रभ (चह ) ८ वें तीर्थंकर १--४७ ११ वें कुलकर या मनु पृ. ७० ८-१८, १९ For Private And Personal Use Only वर्ष १-७५ चन्द्राभ भाववर का भेद ९-२८ चर्या परीपह चारित्र ( चारित ) चारित्र मोहनीय - दो प्रकार का, कपाय और नोकषाय १०-१२ चिकित्सा (तेगच्छ ) चित्रा ( चित्ता ) नक्षत्र १-१७ चेतना (वेदणा ) जीव-लक्षण ९-३ मुनि के लिये वर्ज्य ४-४ चैत्यगृह ( इयगह ) सामायिक के योग्य स्थान ३-२० चौर्य ( ओर ) छठा व्यसन ३-१०
SR No.020812
Book TitleTattva Samucchaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherBharat Jain Mahamandal
Publication Year1952
Total Pages210
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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