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अशुचित्व ( असुइत्त) - भावना -२ अशुद्ध-संग्रह ( असुद्ध संगह) - संग्रह नय का भेद १५-३० अशुद्धार्थभेदक ( अमुद्ध) - व्यवहार नय का भेद १५-३१ अशुभ ( अमुम्ह ) -- नामकर्म का भेद १.-१३ अशुभ भाव ( असुभ ) - पाप ९-३१ अश्वग्रीव (अस्सग्गीवो) - पहले प्रतिनारायण १-५४ अश्विनी (अस्सिणी ) - नक्षत्र १-१८ असंग ( अमंग ) - मुनि ७-४५ असंज्ञी ( असणी ) - मनरहित जीव १२-६३ असद्भूत ( असम्भूय ) - नय-विशेष, तीन प्रकार का १५-९ असात ( असाय ) - वेदनीय कर्म का भेद १० -७ असुरदेव -- धर्मद्रोही होने के कारण कल्कि को मारनेवाला १-७७ अस्तिकाय (अस्थिकाय) - अनेक प्रदेशात्मक पांच द्रव्य ९-१८ अस्नान (आहा) - मुनि का मूलगुण ५-३१ अष्टापद (अहावय ) -- द्यूतक्रीडा, मुनि के लिए कार्य ४-४ अहिंसा - महावत ५-,
आकाश ( आयाम ) - एक द्रव्य, अजीव का भेद ९-१०
(आगास ) एक द्रव्य ९-१९, २० आकिंचन्य ( अकिंचाह) - परिग्रहत्याग, धर्माग ६-१ । आक्रोश परीपह - ८-२४, २५ आगम - धर्मशास्त्र ३-४: - निक्षेप भेद, द्रव्य और भाव रूप १६-६, ८ आचार्य - ( आइरिय) मंगलाचरण १ आजीव-वृत्ति ( बत्ति ) - मुनि के लिए वर्य ४-६ आज्ञा (आणा) - सम्यक्त्व का एक कारण १२-५४ आज्ञापनी (आगवणी) - असत्यमृषा भाषा का भेद १२-१८ आज्ञाविचय ( आणा) धर्म ध्यान का भेद १३-१६ आताप ( आदाय ) - पुद्गल पर्याय ९-११ आतुरम्मरण ( आउर-) - मुनि के लिए धन्य ४-६
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