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अनित्य-शुद्ध (अणिञ्च सुद्ध) - पर्यायार्थिक नय का भेद १५-२२ अनिवृत्तिकरण - नौवां गुणस्थान ११-२० अनुकम्पा (अणुकंपा)- सम्यक व का आठवां गुण ३-६ अनुप्रेक्षा (अणुपेहा) - भावना ७-१; - भाव संवर का भेद ९-२८ अनुभाग (अणुभाअ)-कर्मों की शान का विपाक ७-३४;-बंध ९.२६; १०-२४ अनुमतित्याग (अनुमद अणुमणण) - दसवीं प्रतिमा ३-२; ३-३४ अनुराधा (अणुगह) - नक्षत्र १-१७ अनेकान्त (अयन्त) १४-२३ अन्तराय - कर्म १० -१५ अन्तर्मुहूर्त (अत्तोमुहुत्त) - काल-प्रमाण १०-२१ अन्यत्व (अण्णम) - भावना ७-२ अन्वयद्रव्यार्थिक (अण्णदय दवस्थिअ) - द्रव्यार्थिक नय का भेद १५ - १८ अप (जल) - एकेन्द्रिय जीवभेद ९-९ अपक्व (अपोलिय) - उपभोग-परिभोग-परिमाणत्रत का अतिचार २- २४ अपध्यान ( अवज्झाण) - अनर्थदण्ड का भेद २-२७ अपराजित (अपराजिद) - चौथा अनुत्तर विमान १-२५ अपरिग्रह - महावत ५-९ अपाय विचय - धर्मध्यान का भेद १३-१७ अपूर्वकरण ( अपुध-) - आठवाँ गुणस्थान ११-१८,१९ अप्रत्यवेक्षित दुष्प्रत्यवेक्षित-शय्या (अप्पडिलेहिय दुष्पडिलेहिय सिजा)
- प्रोषधोपवास का अतिचार २-३५ असमत्त (अपमत्तो)- प्रमाद रहित २-७ अप्रमत्त-विरत - सातवाँ गुणस्थान ११-१७ अप्रमार्जित-दुष्यमार्जित उच्चारभूमि ( अपमन्जिय दुषमन्जिय उच्चाराइभूमि)
- प्रापेधोपवास का अतिचार २-३५ अप्राशुक ( अप्पासु।) - अशुद्ध ३-२६ अभव्य (अभया)- १२-५३ आभकृत ( अमिहङ) - मुनि के लिये त्याज्य भोजन ४-२ आभिचन्द्र - इस कुलकर-पृथ् ७ की टिप्पणी
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