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अज्ञान ( अण्णाण) - मिथ्यात्व का भेद ११ -- ४ अज्ञान परीषह ८-४२, ४ ३, ४४ अतिचार ( अइयार )- हिंसा के २-८ अतिथि संविभाग ( अतिहि-)- चौथा शिक्षाबत २-३७
- तीसरा शिक्षावत, व्रत प्रतिमा का अंग, ३ .. १८. अतिदुषमा (अदिदुस्सम) - अवसर्पिणी काल का छठा भाग १-४० अतिभार ( अइभार) - अहिंसाणुव्रत का अतिचार २-९ अदत्त-वर्जन (अदत्त-वजण ) - व्रत प्रतिमा का अंग ३-१२; महावत ५-७ अदत्तादान - तीसरा अणुक्त २-१४ अदन्त-धावन (अदंतमण ) - मुनि का एक मूलगुण ५-३३ अदर्शन परीषह ८-४५, ४६ अधर्म (अधम्म) - द्रव्यविशेष १-४, ९-१८ अधिगम सम्यक्त्व ( अहिंगम सम्मत्त ) - १२-५४ अधोदिशाप्रमाणातिक्रम (अहादसापमाणाइक्कम ) - दिग्वत का अतिचार
२-२२ क अधोलोक ( हेदिमलोय) - वेत्रासनाकार १-५; - ऊंचाई सात राजू १-७ अधःप्रवृत्तकरण ( अधापवत्त ) - ११-१८ अध्रुव (अछुत्र ) अनित्य, प्रथम भावना ७ -२ अनक्षरगता (अणक्खर गदा) - असत्य-मृषा भाषा का भेद १२-१८ अनगार (अणयार) - धर्म ३-१ अननुपालन - प्रोषधोपवास व्रत का अतिचार २-३६ अनंगक्रीड़ा ( अणंगक्रीड) - ब्रह्मचर्याणुव्रत का अतिचार २-१७ अनन्त (अणंत) - १४ वें तीर्थकर १-४८ अनन्तानन्त ( अणन्ताणत ) - अनन्त का सर्वोत्कृष्ट प्रमाण १-२ अनर्थदण्ड ( अणत्थदंड ) -- तीसरा गुणवत २-२७;
- व्रत प्रतिमा का अंग ३-१५ अनादिनित्य (अणाइणिच्च)- पर्यायार्थिक नय का भेद १५-२१ अनाहारक (अणाहार) - जीव, चौदहवीं मार्गणा १२-६५ अनित्य-अशुद्ध (अणिच्च असुद्ध) - पर्यायार्थिक नय का भेद १५-२४
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