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१२९
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कह
वर्णबीजकोषा शब्द अर्थ शब्द
शब्द
अर्थ कामेशी-आइ।। क्लीं कालपोता
किङ्करी-ऊ कालबीजम्-अ
किङ्करीबीजम्-ऋादी कामेश्वरी-आखाङ कालभद्र:-म
किङ्किणी-ऋाघाह्रीं क्लह्रीम् कालभैरवी-आ किझल्क:-झ कामेश्वरीवाण:-यांरां कालरात्रि:-आलाऐ।औ किन्नरः-नमः
लांवांशां काछ।पाफाराहम् किन्नरी-ज कामेश्वरपीठोपसेवन:-ण कालरात्र्याग्रा-आ कीनाश:कामोद:-ज कालरूपः-घ
कीत्ति:-आऋ||घ कामोदरी-त कालरूपा-ग
कीलालम्-वावं काम्पिनी-वली कालरूपी-ख
कु:-ठालाल काम्या-व कालवक्षत्रा-उ
कुक्कुटी-ङ काय:-क्ष कालसंकर्षा-ख
कुक्षम्-क्ष कायिनी-झ काला-:(अ:)
कुक्षिः -झाप कारखाग्नि:-ख
कालसुन्दरी-(अं) कुच:-ज कार्तवीर्यार्जुन:-फ्रों कालाग्नि-काहस्त्री कुचमण्डलम-झ कात्तिकेयः-टु कालादि:-भ
कुटिलरूप:-द कार्मुकम्-ऋ कालानल:-हूं
कुज्ञानीकालम्-हँ कालिका-ऋात की
कुञ्जर:-क्रपा काल:-ला: ॐखाछाझा कालान्तक:-उ
कुखा-फ माषाक्षाहूं कालो-काखाङकी कुटिल:-उल कालकर्षिणी-ऐ कालेश:-म
कुटिला-टाद कालकल्पा-च काव्यम्-भ्रों
कुटिलारूप:-द कालकारिका-ई काव्यः-लाबी
कुटिलाश्रोत्रं-उ कालकूटा-उमओ काशिका-आ
कुट्टारः-दारूँ कालकृष्ण:काश्यपी-लालँ
कुण्डलम-:(अ:)।ठास कालजिह्वा-आलोक्ष काशीनाथः-ए।गासाह कुण्डलद्वयम्-: कालखर:-एगासाह काष्ठा-ट
कुण्डलवक्त्रम्-: कालनिशा-आ काष्ठरूपा-घ
कुण्डली-गासाह्रीं कालनेमिरिपु:-अगली किल्विषम-ऋ
कुण्डलीश:-ॐ कालपूर्णा-अ: किङ्करः-झ
कुण्डिका-क
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