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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १३० वर्णबीजकोषा शब्द अर्थ कुण्डोदरी-ल कुत्सनाक कुत्सितावेष:-क कुन्ती-क्रॉक्रिों कुबेरः-द कुबेरद्दक्-लालू कुबेरबीजम्-सं कुब्जः -(अं) कुब्जा -(अं) कुब्जामा-छ कुब्जिनी-न कुमारः-ङाश कुमारसूः-ल कुमुदः-ट कुमुदिनीपति:-ऐद्रा कुमुददेशः- ऐसाद्री कुमोदक:-आउक्ली कुम्भ:-लाप कुम्भतृतीयक:-य कुम्भी-क्रॉ कुरङ्गाक्षी-आस्त्रिी कुरुकुल्ला-आऐ कुलम्-ए।शासाह। कुलकोलिनी-श कुलनायकः-ऋ कुलमार्गस्थित:कुलमालिनी-क कुलशालिनी-ट कुलसुन्दरी-लाघ कुलाचल:-ए शब्द अर्थ शब्द कुलीरः-फ कृतान्तकृत्-ठ कुलोद्भवा-ए कृति:-(अं) कुलान्तकनिवासिनी-पाद कृती-ल कुलान्तक्षम्-ङ कृतीश-ल कुलान्तालयवासिनी-ङ कृत्तिवासाः-ए।गासाह कुलेश्वर:-ए।गासाह कृपा-ऋाऐं कुल्ला-इख कृपाद्वैत:-क कुल्लुका-(अं) कृपीटम-वावं कुशम्-वाव कृपीटयोनि:-रारं कुसुमम-क कृशा-ह्रीं कुसुमायुधः-श। क्लीं कृशाङ्गिनी-ऐ कुसुमी-ल कृशानु:-णारारं कुसुमेषु:-इकाक्लों कृशानुरेता-ए।गासाह कुहू:-ऊोझ कृषा-ए कुजिनी-ब कृष्ण:-आउथादाराक्लीं कूटम-शाक्लौं कृष्णगति:-र कूट:-ह कृष्णबीजम्-क्लीम कूटत्रयम्-ऐं।क्लीं ह्रीं कृष्णवर्मा-रार कूटपाणि:-ट कृष्णा-थाराक्री कूर्चम्-हूं कृष्णाचि:-रार कूदिनी-ब केसराक्षी-झ कूपर:-खाछ केतुः-हुल कूर्म:-चाफ केदार:-(अं) कूमेश्वर:-च केदारपीठ:-(अं) कूलङ्कषः-6 केन:-फ कूष्माण्डी-औ केलिनी-(अं) कृत्-घाज केलिवल्लभ:-श्री कृतरूपिणी- ह्रीं केवल:- (अ) कृतान्त: केश.-उथाप कृतान्तकः-(अं) केशरी-ठ For Private and Personal Use Only
SR No.020799
Book TitleDictionaries Tantrashastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamkumar Rai
PublisherPrachya Prakashan
Publication Year1984
Total Pages180
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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