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________________ Acharya Kesegaran Samander ८१ ENGISESSETTISITIESENRITTENEMIESTEE विद्वानों ने कहा है कि नियों दर्शन मात्र से चित को हर लेती हैं और स्पर्श करने से बल को हरण करती हैं तथा सा करने से। वीर्य का हरण करती।मता स्त्रियाँ प्रत्यक्ष हीराक्षसी है। खियाँ लजा का नाश कर देती हैं। खियाँ सविनय की राशि चौर कपट तथा पाखण्ड के घर है। खियों के कारण जगत में पैर होता हुआ देखा जाता है इसालये नियों और की खान है। खियाँ शोक का तो शरीर ही हैं। स्त्रियों के कारण मनुष्य कुल की मर्यादा का नाश कर देता है। एवं स्त्री के कारण मनुष्य अपनी संयम मर्यादा का भी नाश कर देता है। सियाँ राग और तुष के आधार हैं इनके कारण ही मनुष्यों में राग भौर ष उत्पन्न होते हैं। स्त्रियाँ दुश्चरित्र के घर हैं। इनके कारया मनुष्य का चरित्र प्रष्ट होजाता है। ये साक्षात् कपट की राशि हैं। हम साथ अधिक संसर्ग होने से ज्ञान, दर्शन और चारित्र का भयंस हो जाता है। जो ब्रह्मचारी पुरुष इन खियों के साथ अधिक संसर्ग रखता है उसका प्राचयं व्रत अवश्य ही नष्ट होजाता है। अतः स्त्रियाँ प्रयचयं को नष्ट करने वाली हैं। स्त्रियां श्रत और चारित्र धर्म के बिघ्न स्वरूप हैं । जो महापुरुष मोक्षमार्ग के पथिक हे स्त्रियाँ उनके लिये लो महान् शत्रु हैं क्योंकि उनके चारित्र का नाश करने वाली हैं तथा उन्हें नरक आदि गतियों में गिराने वाली हैं। जो लोग प्रमचयं मावि उत्तम आचारों से सम्पन्न हैं, पन्हें खियाँ कलङ्कित कर देती हैं। जैसे बगीचे में पुष्पों का पराग अधिक होता है ससी तरह नियों के संसर्ग से पुरुषों में कर्मरूपी पराग अधिक होता है। इसलिये खियाँ कर्म रूपी पराग के लिये बगीचे के समान हैं। जैसे धर्मक्षा लगा देने से बार बन्द हो जाता है इसी तरह स्त्रो में मासक्त होने से मोक्ष का द्वार बन्द हो जाता है। इसलिये स्त्रियाँ मोक्ष मार्ग के लिये अर्गला स्वरूप हैं। जैसे सर्प महान् क्रोधी होता है इसी तरह स्त्रियाँ भी अत्यन्त कोधिनी होती हैं। जैसे पामज हावी अपने वश में नहीं होता है उसी तरह खियाँ काम के वशीभूत होती हैं। जैसे बाघिन का हृदय दुष्ट होता है, उसी तरह For Private And Personal use only
SR No.020790
Book TitleTandulvaicharik Prakirnakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmbikadutta Oza
PublisherSadhumargi Jain Hitkarini Samstha
Publication Year1950
Total Pages103
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_tandulvaicharik
File Size12 MB
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