________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दारे अह कामगेहस्स // 8 // चतसृमिः कलापकम् // उत्तिन्ना सिवियाओ पूयणउवगरणयं गहेऊणं / धरिऊण दारदेसे सयलं नियपरियणं ताहे // 9 // एगागिणी पविट्ठा मयरद्धयविंधपूयणनिमित्तं / पविसित्तु भवणदारं अग्गलियं ताए बालाए // 10 // युग्मम् // संपूइऊण कामं अह सा निवडेवि तस्स चलणेसु / दीहं नीससिऊणं गलतथूलंसुनयणिल्ला // 11 // लहुसद्देणं एवं सोवॉलंभ संगग्गरं भणइ / निजियसुरमणुओवि हु पहरसि इत्थीण किं भयवं! ? // 12 // युग्मम् // जइ मज्झ तम्मि लोए भयवं! गरुओ को हु अणु| राओ। ता कीस तं पमोत्तुं घडसि ममं अन्नलोएणं // 13 // अन्नं च / सम्मति इत्थ लोए पंचेव सिलीमुहा ओ किल तुज्झ / नवरं ममं पडुच्चा सहस्सबाणोच्च तं जाओ॥१४॥ जह जाव | मज्झ पहरसि पहरसु को तं निवारइ भयवं / / नवरं तह मह पहरसु कयंतभवणे जह वयामि // 15 // तुमए पुण तह पहया जह न मैया नेय जीविया अहयं / ता किं भणामि इहि सरणम्मि समागया तुज्झ॥१६॥ दड्डस्स हुँयवहेणं सोचेव जहोसहं तु लोयस्स। | तमए पीडियदेहा तह सरणं तुज्झ अॅल्लीणा // 17 // जइ मज्झ तुम तुट्ठो देहि वरं पत्थिओ मए एयं / मा मह हविज एरिसविडं|वणा अन्नजम्मेवि // 18 // ताव इमो मह जम्मो पियजणासाए 'बोलिओ अहलो / तं चिय दइयं दिजसु भयवं! मह अनजम्मेवि * // 19 // भो सुप्पइट्ठ! एवं भणिऊण ताहि कणगमालाए। विअलंतथूलअंसुयपवाहसंसिसिहिणाए॥२०॥नाणाविहरयणविणिम्मियम्मि पसरतविमलकिरणम्मि / गम्भहरदारनिहिए रम्मे अह तोरणे तीए / / 21 / / बद्धो निउत्तरीएण पासओ ताहि सा पुणो भणइ / एसा अर्गलितम् / 2 निपत्य / 3 सोपालम्भ साक्षेपवाक्यम् / 4 सगद्गदम् / 5 शिलीमुखाः चाणाः। 6 पहुच्चाम्प्रतीत्य / 7 मृता। 8 हुतवहः अमिः / Ha स एव=अमिरेव / 1. आलीना। 11 चोलिओ गतः / 12 गर्भगृहम् गृहाभ्यन्तरप्रदेशः। 13 निजोत्तरीयेण स्वीयोत्तरवस्त्रेण / For Private and Personal Use Only