________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरी चरि। परिच्छेओ। च तेण कहिए उचिए उवाए आगामियं गरुयदुक्खमचिंतिऊणं / भो सुप्पइट्ठ ! वयणं पडिवनयं से तिव्वाणुरागपरिमोहियमाणसेण // 248 // साहुधणेसरविरइयसुबोहगाहासमूहरम्माए / रागग्गिदोसविसहरपसमणजलमंतभूयाए // 249 // एसोवि कणगमालापावणउवएसम्यगो भणिओ। सुरसुंदरीकहाए पंचमओ वरं परिच्छेओ // 250 // 1250 // // पंचमो परिच्छेओ समतो॥ छट्टो परिच्छेओ। // 45 // इत्थंतरम्मि सूरो भमिऊणं गयणमंडलमसेसं अवरसमुई पत्तो पहखिन्नो मजणत्थंव // 1 // भणियं च चित्तगइणा अनाया एव | एत्थ पविसामो। मयणस्स गिहे संपइ पत्थुअअत्थस्स हेउम्मि // 2 // तत्तो य मए भणियं एवं होउत्ति उडिया दोवि / चिणिय ॐ | कइवयाई पुप्फाई तत्थ उजाणे // 3 // पविसिय मयणस्स गिहे पूइय मयणं च एवमुल्लवियं / भयवं! तुह प्पसाया संपञ्जओ इच्छियं | अम्ह // 4 // युग्मम् // एवं भणिऊण तओ दोवि निठेक्का अणंगपट्ठीए / रयणीए जाममित्ने बोलीणे, किंचिअहियम्मि // 5 // बहुपरि| यणपरियरिया गिअंता पवरमंगलसएहिं / वजतेण य विविहं नाणाविहतूरनिवहेण // 6 // नियसहियणेण सहिया आरूढा उचिमाए | सिवियाए / कयमंगलोवयारा सियभूसणभूसियसरीरा // 7 // सियवसणपाउयंगी आबद्धसुगंधकुसुमआमेला / पत्ता ओकणगमाला प्रतिपनकम् अङ्गीकृतम्। 2 मज्जनार्थमिव स्नानार्थमिव / 3 उच्चीत्य-प्रचायीकृत्य। 4 निलक्का-निलीनौ / 5 गीयमाना / 6 पाउयंगी प्रावृताङ्गी / | भामेलो-आपीड:-अवतंसः। // 45 // For Private and Personal Use Only