________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरीचरिअं। पञ्चमो परिच्छेओ। // 43 // च इमस्स विजाए // 189 // तत्तो तबिग्घट्ठा राया कणगप्पहो गओ तत्थ / न य खोभिओस तेणं मणेण मीओ तओ एसो॥१९०॥ | नियनयराभिमुहेणं आगच्छंतेण अन्नचित्तण / कहवि हु पमायवसओ जिणभवणं लंघियमणेण // 191 // पुवं धरणिंदेणं एसो समओ | कओ नहयराण / जिणभवणसाहुपडिमाण लंघणं एत्य जो काही // 192 // तस्स खयराहमस्स ओ विजाच्छेओ भविस्सई सहसा। * एवं वेयडनगे अइविदियं सयलखयराण // 193 // युग्मम् / तत्तो इमस्स रनो जिणभवणं लंघियति रुद्वेण / धरणेण तक्खणिच्चिय | विजाच्छेओ को भद॥१९४॥ जलणप्पहस्स विजा सिद्धत्ति वियाणिऊण कणगपहो / विजारहिओ इहयं ठाउमसत्तोचि अह नट्ठो // 195 // गंगावत्तम्मि गओ भयभीओ दक्खिणाए सेढीए / सिरिंगंधवाहणस्स ओ सरणं सह नाइवग्गेणं // 196 // नाऊण वइ* यरमिणं खुहिओ सबोवि नायरो लोगो / पहुरहिओ भयभीओ अवरोप्परमेवमुल्लवइ // 197 // अम्हाण पहू नट्ठो न य सकइ वासि || पुरं एयं / तेण विणा ता अम्हं न जुत्तमिह अच्छिउं इण्हि / / 198 // को कुणइ अम्ह रक्ख एत्थ वसंताण नाहरहियाण / सम्वेसिं Mel तेण उचियं पुरमेयं उज्झिउं सिग्धं // 199 // एवं विणिच्छियम्मी नयरमहंतेहि मंतकुसलेहि / सव्योवि जणो नट्ठो जायं अह मुभयं नयरं // 20 // आसञ्ज कारणमिण उव्वसिय तेण पुरवरं एयं / चित्तगई भणइ तओ कत्थ गओ सो जणो भद्द !? // 201 // तत्तो य | तेण भणिय कोवि जणो गयणवल्लहे नयरे / कोवि गओ विजयपुरे कोवि हु इह वेजयंतम्मि // 202 // सत्तुंजयम्मि कोवि हु अरिजए कोवि तह गओ लोओ। अमो नंदणनयरे अवरो विमलम्मि नयरम्मि // 203 // रहनेउरम्मि कोवि हु आणंदपुरम्मि अरिजए 1 समयः संकेतः / 2 नभश्चराणां विद्याधराणाम् / / खचराधमस्य=विद्याधरापशदस्य / 4 तत्क्षणे एव / 5 स्थातुमशक्त इति / 6. ज्ञातिवर्गेण स्वजनसमूहेन / 7 परस्परम् / 8 आसितम् / 1 आसाद्य / // 43 // For Private and Personal Use Only