________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खयराहिवतण ततो ते दोवि जणा सारणी विजा ! जामास जाव तो पच्छा -*-*4886-59-246808-244 एत्थंतरम्मि पणमिय जलणपहो विनवेइ नियपियरं / भयवं! पुणरवि रज किं तं मह होज नो अहवा?॥११॥ अह केवलिणा 2. भणियं होही, तं कैइय, पुच्छियमणेण / तो भणइ मुणिवरिंदो केवलविनायपरमत्थो ॥९२।भाणुगइदिनरोहिणि विजाए साहियाए E ते भद्द!। होही पुणरवि खयराहिवत्तण नत्थि संदेहो॥९३॥ एवं मुणिणा भणिए पहसियवयणेहिं बंदिओ भयवं / एत्थंतरम्मि परिसा जहागय पडिगया सव्वा / / 94 // ततो ते दोवि जणा समागया झति निययनयरम्मि / चित्तगइणा य कहियं केवलिवयणं कि तु नियपिउणो॥१५॥ ततो य भाणुगइणा सोहणरिक्खम्मि रोहिणी विजा / जामाउयतणयाणं दोहवि समयं विदिबत्ति // 9 // | भणिया य पुच्चसेवं करजावविहाणओ कुणह सम्मं / वसिमम्मि ठिया समयं छम्मासं जाव तो पच्छा // 97 // उत्तरसेवा उग्गा | कायव्वा एगगेहिं अडवीए / बीएण पुणो उत्तरसाहगरूवेण होयव्वं // 98 / / अन्नं च भीसणासुवि विभीसियासु मणं न दायव्वं / | पुग्ने सत्तममासे देस्सइ अह दंसणं विजा // 99 / / एवं रन्ना भणिया दोनिवि पणमित्तु तस्स पयकमलं / पारद्धा तं काउं छम्मासा जाव | पुन्नत्ति // 100 // अह सत्तम्मि मासे गंतुं अडवीए तैविही सव्वो / जलणप्पहेण पुचि पारद्धो जावहोमाई // 101 // वसुनंदयखग्ग| करो चित्तगई तस्स रक्खओ जाओ। सोवि हु अणन्नचित्तो पारद्धो तं विहिं काउं॥१०२॥ अन्नदिवसम्मि तुरियं आगच्छंती पर्क | पमाणतणू / दिट्ठा उ चित्तलेहा भयभीया तम्मि ठाणम्मि // 103 // तं दळु नियमगिणिं चित्तगई भणइ कत्थ तं भद्दे ! / आया सुभीसणाए एक्कल्ला एत्य अडवीए 1 // 104 // कस्स व भएण गाढं कंपसि तं भगिणि! ताहि सा भणइ / नयराउ निग्गया हं परि 1 विज्ञपयति / 1 कदा / 3 खचराधिपत्वम् विद्याधरस्वामित्वम् / 4 बसतौ। 5 विभीषिका-उपसर्थः / 6 दास्यति / 7 स चासौ विधिश्च तद्विधिः / 8 आयाता / E-*680**HEHRE For Private and Personal Use Only