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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir क्खिय अयसपडहयं लोए / बहु मनिय अविवेयं अवियारिय दोग्गइगमणं // 6 // अणवेक्खिय गुरुभावं अंगीकाऊण तह अदक्खिन / रायसिरिलोलुएणं विजाबलदप्पभरिएण // 65 // जलणप्पहस्स जिदुस्स भाउणो पिउविदिन्नरजपयं / उहालिय तु कणंगप्पहेण विजापभावाओ // 66 // चतसृभिः कुलकम् / तत्तो अहिट्ठियं तं रजं सव्वंपि उग्गएण / सामाइणा सव्वो वसीको खयरनिउरंचो // 67aa नीसारिओ संभूमीजो ताहि जलणप्पहो कणिद्वेण / नयरम्मि चमरचंचे समागओ ससुरपासम्मि // 68 // बहुमाणपुष्वयं सो पवेसिओ नियधुरम्मि ससुरेण / भाणुगइराइणा अह समयं चिय चित्तलेहाए // 69 // अह परमपमोएणं तहिं वसंतस्स ससुस्नयरम्मि / भो चिचवेग! तस्स उ वोलीणा वासरा कइवि / / 70 // अह अभया कयाइवि जलणपहो सालएण संजुत्तो। चिचगह नामएणं नीहरिजो ताजो नपराजो 71 // पेच्छंतो बहुविहउववणाई रमणीयतरुसेणाहाई / मारंडचकमंडियसबजलदीहियानिवह E72 // पसरियसियमासाई धेच्छतो गिरिवरस्स सिहराई / किनमिहुणसुसंगयकयलीहरविहियसोहम्मि // 73|| अइकलकइयकलयंठि लैंडकोलाहलाभिस्मणीए / परिभमिरममरनिउरंबगरुयझंकारमहुरंम्मि // 74 // एगम्मि वणनिगुंजे फलभरविणमतदुमसयाई पत्ती all सकोउगेणं समयं चिय चित्तगणा उ॥७५॥ चतसृभिः कुलकम् / वायंतमउयमारुयहल्लंतसुपल्लवोहसोहिल्लं / पेच्छइ रत्तासीय महु| यरिगणविहियहलंबोलं // 76 // तस्स य अहे निविट्ठो कंचणपउमम्मि मुणिवरो दिट्ठो / विजाहरनरकिन्नरसुरविसरेण नमिजतो // 7 // | उप्पमविमलकेवलनाणो अह सुरवरेहिं धुव्वतो / आसन्ने उण जलणप्पहेण सो पञ्चभिन्नाओ॥७८॥ सो एसो मज्झ पिया पहंजणो| भगवेक्ष्य / 2 सामादिना / 3 निकुरम्ब समूहः / 4 स्वभूमीतः / 5 सनायुक्तम् / 6 प्रसूताः सिताः श्वेता भासो दीप्तयो येषां तानि / लटुंअष्ठम् / 8 परिभ्रमन्ति तच्छीलाः परिभमिरा / 9 पाइन्न आकीर्णम् च्याप्तम् / 10 हलबोलोकलकलः / 11 स्तूयमानः / For Private and Personal Use Only
SR No.020776
Book TitleSursundari Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhaneshwarmuni
Publisher
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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