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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दीहं नीससिऊणं ततो य मए तया इमं भणियं / किं कहियाए इमाए विहलाए सुषणु वचाए // 4 // कहिएण जेण लब्भइ कोवि गुणो, तमिह साहिउँ जुत्तं / अमह पुण तुसखंडणसरिसेणं किं नु कहिएणं // 5 // | अविय / वोलीणपायकब्जे साहारो कोवि नत्थि कहिएण। गयपाणियम्मि पालीइ बंधणं के गुणं लहउ ? // 6 // दुस्सहदुस्खसमु|च्छेयणम्मि उज्जुत्तमाणसस्स तुमे / कीस कयं मह विग्धं पाणच्चायं करेंतस्स 1 // 7 // ता मा काहिसि इण्हिपि मज्झ विग्धंति, ताहि BI सो भणइ / मा भद्द ! कुणसु एवं साहसु मह कारणं ताव // 8 // विनायम्मि सरूवे जेण उवाओवि लन्भए कोवि / तत्तो य मए क-1 *हिया नीसेसा पुन्ववत्ता से // 9 // उल्लंबणअक्साणा तं सोउं सुष्पइड ! तेणाहं / भणिओ जुवईए कए न हु जुत्तं उत्तमनराण // 10 // एरिसमायरिउ भो ! विसेसओ तुम्ह नीइकुसलाण / जीवंता जेण नरा कल्लाणपरंपरमुर्विति // 11 // | किश्च / धनो सि तुम जस्सत्थि ताव अनोनवयणसंचारो / तह देवयाए क्यणं आसाए निबंधणं अत्थि // 12 // तह एगनम| वासो अवरोप्परभावजणणसंगम्भो / ता कीस कुणसि सोय, धन्नो तं पुनवंतो य॥१३॥ मह पुण पुनविहूणस्स कहवि तहसणम्मि |जा आसा / तीऍवि हुदालिई तहवि हु धारेमि नियपाणे // 14 // कित्तियमित्तं दुक्खं होते वयणकमम्मि तुह भद्द ! 1 / जं मह मणदयाए ठाणाई अयाणमाणस्स // 15 // ततो य मए भणियं साहसु मह ताव निययवुतं / ठाणपि नेय जाणसि कह शु तुर्म निययदइयाए 1 // 16 // कम्मि पुरे तुह वासो केणव कजेण आगओ एत्य / ततो य तेण भणियं एगमणो भो ! निसामेहि // 17 // . अतिक्रान्तप्रायकायें। 3 उलम्बनम्-उद्बन्धनम् / 3 उविति-उपयन्ति / 4 विहण=विहीनम् / 5 तस्याः प्रियादर्शनस्याशाया अपि दारिश्वम्-अभाव इ॥ स्यर्थः / 6 भवति-विद्यमाने / 7 अजानतः / For Private and Personal Use Only
SR No.020776
Book TitleSursundari Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhaneshwarmuni
Publisher
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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