________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरीचरिअं। पञ्चमोपरिच्छेओ। संत्थरए सोविओ तेण // 244 // पुणरुत्तपवणकरणाइयाहिं नाणाविहाहिं चिट्ठाहिं / गयवेयणेण तत्तो खतरा चेयणा लद्धा॥२४५॥ | उम्मीलियलोयणजुयलएण दिठो विसिद्धसंठाणो / नवजोव्वणो जुवाणो पञ्चक्खं पंचबाणोव्व // 246 // भणियं च तेण किं भद | बाहए, 'दसिय मए गलयं / अह संवाहणविहिणा तंपि हु सत्थं कयं तेण // 247 // विगयसयलपीडो सत्थदेहो तया हं, किसलयरइ॥३६॥ यम्मी सत्थरे संनिविट्ठो। विरहविहुरियंगो दीहनीसासखिन्नो अहिलसियपयत्थाऽसाहणुव्विचित्तो // 248 // साहुधणेसरविरइयal सुबोहगाहासमूहरम्माए / रागग्गिदोसविसहरपसमणजलमंतभूयाए // 249 // एसोवि परिसमप्पइ पासगपरिमोयणोति नामेण / सुर| सुंदरिनामाए कहाए तुरिओ परिच्छेओ // 250 // 1000 // चउत्थो परिच्छेओ समतो॥ पंचमो परिच्छेओ। अह सो दहण ममं विदाणमुहं गलंतनयणिल्लं / करयलनिमियकवोलं एवं भणिउ समाढत्तो // 1 // सुंदर ! तुह सरिसाणं उत्तमपुरिसाण जुजइन काउं / अहमजणसमाइलो अपवहो कुगइसंजणणो // 2 // अन्नं च / को सि तुमं कस्स कओ केण व कजण एयमायरियं / कीस ससोगो सुंदर ! अविरलथूलसुऐ मुयसि // 3 // 1 प्रस्तरः शम्या / 2 युवा / 3 बाधते / 4 'ततः तत्प्रश्नानन्तरं' इति शेषः / 5 उम्धिन्नउद्विग्नम् / 6 निमियान्यस्तम् . भात्मवधः आत्महत्या / 8 अविरलानि बहूनि च तानि स्थूलाभूणि / // 36 // For Private and Personal Use Only