________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एत्थ बहुविगप्पेहि / गुरुविरहदुक्खसमणो पाणचाओ पर जुत्तो // 231 // जइवि न जुञ्जइ एसो विवेयजुत्ताण उत्तमनराण / तीए | विरहे तहवि हु सकेमि न जीवियं धरि // 232 // ता एत्थेव तरुवरे तीए अंदोलणेण सुपवित्त / उब्बंधिय अप्पाणं पाणचायं करेमिचि // 233 // एवं विचिंतिऊणं आरूढो तम्मि तरुवरे अहयं / दाउं गलए पास अह एवं भणिउमाढत्तो ॥२३४॥रे दिव्वं ! अन्नजन्मे दुल्लहलंमम्मि माणसे नेहं / मा मह करिज एसा हु पत्थणा तुह मए विहिया // 235 / / अयं च / केवलिणो तं वयण, सा वाया देवियावि, तं सुविण / आसानिबंधणं मज्झ दिव्य ! सव्वं कयं अलिय // 236 // |एवं भणिऊण मए मुक्को अप्पा अहोमुहो झत्ति / ताहे गाढीभूए पासम्मि सरीरभारेण // 237 / / रुद्धं गलयं आकुंचियाओ धमणीओ पसरिया वियणा / भग्ग लोयणजुयलं रुद्धो पवणस्स संचारो // 238 // उव्वेल्लियमंगेहिं जायं उदरं च पवणपेडिहत्थं / करणाई |घाइयाई जाया अह वेयणा मंदा // 239 // भो सुप्पइट्ठ! एवं वियणापरिमंदईदिएण मए / एत्थंतरम्मि निसुओ सदो अपणढचित्तण ॥२४॥मा साहस मा साहसमेयं काउरिसजणसेमाइण्णं / आयरिय देवदल्लहनियरूवं भद! नासेस // 24 // एत्थंतरम्मि केणवि लंबत उक्खिवित्तु मह देहं / लहु च्छिदिऊण पासं विहिओ मिउसीयलो पवणो // 242 // तत्तो तुसारसीयलसारणिनीरच्छडाहिं | संसित्तो / उल्हासिऊण हिययं अंगं संवाहियं सव्वं // 243 // मुच्छानिमीलियच्छो सव्यं सुविणंव ते विमभंतो / कोमलकिसलयरइए 1 सुपवित्रे / 2 उतूबध्य-गले पाशं बया / 3 दैव! देव / 4 देवसंबन्धिनी देवी, स्थाथिके के देविका वाचा / 5 पडिहत्य पूर्णम् / 6 करणानिइन्द्रियाणि / 7 अप्रनष्टचित्तन / 8 काउरिसो-कापुरुषः / 9 समाचीर्णम् समाचरितम् / 10 भाचर्य / " उल्हासिउण=अवलंस्य / 12 संवाहित मर्दितम् / For Private and Personal Use Only