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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरीचरिख। चल्यो परिच्छेओ। // 35 // लोगम्मि / अणुकूलस्स उ विहिणो जं मन्ने दुग्धडं होइ // 218 // भो सुप्पइट्ठ! एवं पइदियहं तकहाविणोएण / तप्पावणआसाए वोलीणा वासरा कइति // 219 / / आसनमागयं अह लग्गदिणं ताहि खयरपरियरिओ / महया विच्छड्डेणं बंधुजणसमभिओ तत्थ | // 220 // वीवाहत्थं तीए नहवाहणखयररायअंगरुहो / संपत्तो अह पत्ता कमेण सा पंचमितिहीवि // 221 // तत्तोऽवैरण्हसमए मज्झ | विगप्पो मणम्मि उप्पनो / अहो ! किं तं अलियं होही इह देवयावयणं ? // 222 // अहव न दीसइ किंचिवि अणुरूवं तस्स तेण मनामि / सोमलयावारियं सव्वमलीगं हि संजायं // 223 / / एमाइबहुविगप्पं चिंतेतो रणरणेण गहिओ हं / कत्थवि घिइमलहतो |'नीहरिओ ताओ नयराओ // 224 // पत्तो य तमुजाणं संचविया जत्थ सा मए पुर्छि / अंदोलणतरुहिट्ठ गंतुमहं ताहि उबविट्ठो | // 225 / / अह चिंतिउं पयत्तो इण्हि किं मज्झ काउमुचिय तु / परहत्थं संपत्ता ताव पिया मह नियंतस्स // 226 / / देवयवयणासाए | नेव उवाओवि चिंतिओ कोवि / इण्हि पुण नो सकं किंपि उँवायंतरं काउं // 227 // एसोवि हु अणुरागो एवंपि गए न तुट्टए कहवि / | पइसमयं च पवइ संतावो विरहसंजणिओ // 228 // __अविय / दुल्लहलंभम्मि जणे जस्सिह पुरिसस्स होइ अणुरागो। छिल्लरयपाणिएणव अणुदियहं तेण सुसियव्वं / / 229 // गरुय| पियसंगमासाभंससमुच्छलियरगरणाइन्न / न य जाणे कहव इमं नियहिययं संठवामित्ति ? // 230 / / ता किं करेमि इहि अहवा किं तस्याः कनकमालायाः प्रापणक्ष्य प्राप्ते आशा तया / 1 अंगरुहो अङ्गजन्मा-पुत्रः। 3 अवरण्इं अपराहम् / 4 रणरणः-उद्वेगः / 5 धिई-भूतिम् / 6 निस्सतः 7 सच्चविया-दृश्य / 8 प्रिया / 9 पश्यतः / 1. अन्य उपाय उपायान्तरम् / 1 गते संजाते / 12 छिल्लरयंपल्बलम् लघु तटाकं तस्य पानीयेनेवानुदिवस शोष्टव्यम् , अल्पत्वात् तच्छीघ्रं शुष्यतीत्यर्थः / 13 रणरण औत्सुक्यम् / // 35 // For Private and Personal Use Only
SR No.020776
Book TitleSursundari Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhaneshwarmuni
Publisher
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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