________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चउत्थो परिच्छेओ। सुरसुंदरी सुइरैपि चिंतिऊणवि लभामि न उवायति // 130 // तम्हा महिलागाहं मोत्तुणं आयई निरूवेसु / रायसुयस्स अदाणे दोसे य गुणे चरिध। विचितेसु // 131 / / अभच, कणगमाला बहुमाणपरा हु जणणिजणगाणं / पडिकूलिस्सइ वयणं न अम्ह गुणदोसकहणेण // 132 // | अर्मच, कमगाए भचा किल होइ गुरुअणुमओ / तदणुनाए य जओ सयंवराईवि कीरति // 133 // // 32 // | किन्न / नहवाहणरायसुओ जाव न दिडीह गोयरे पडइ / तावच्चिय अणुराओ इमीए अचम्मि पुरिसम्मि // 134 // निज्जिया| मंगलवे दिवे उण तम्मि होहिही रागो / ता किं सुंदरि / बहुणा विगप्पसंकप्पजालेण // 135 // गंतूण कणगमा सुनिउणवयणेहि मणसु तं सुयणु / / एयम्मि वईयरम्मि जह अम्हं होइ न हु क्सणं // 136 // एवं च अमियगइणा भणियाए ताहि चित्तमालाए / मणिया हं सोमलए ! पिययमवयणं लहुं कुणसु // 137 / / तत्तो तहत्ति भणिउं समुट्ठिया जाव ताहि मे पुट्ठा / चंदमनामा चेडी SE केस्थच्छइ कणगमालत्ति 1 // 138 // तीए भणियं एसा उवरिमभूमीओ उत्तरेऊण / गिहउज्जाणाभिमुहा गच्छह विच्छायमुहकमला // 139 // तं सोऊग विगप्पो उप्पनो मह मणम्मि एरिसओ। नूण अलक्खियाए पिउवयणं तीए निसुयंति // 140 // तेणेव इमा | मन्ने जाया विच्छायवयणिया बाला / ता जाव एत्व गंतुं विरूवमायरइ नवि किंचि // 14 // ता सिग्धं चिय गंतुं निवारणे तीए | उज्जमामिति / एवं विचिंतयंती अणुमग्गेणेव चलिया हं॥१४२॥ युग्मम् / / पत्ता य घेरुज्जाणे इओ तओ तग्गेवसणनिमिचं / जा परियडामि अहयं घणरुयरसंकैडिल्लम्मि // 143 // पणपतैलकयलीहरमणोहरे तत्थ एगदेसम्मि / पत्तलतमालतरुतलहे?निविडा मए सुचिरमपि / 1 आयतिः उत्तरकालः / 3 गुरुभिः कलाबैरनुशातः / 4 व्यतिकरे प्रसझे / 5 कत्थ=कुत्र, अच्छइ-आस्ते / 6 ईदृशः / 7 अलक्षिसया-प्रच्छन्नस्थितवा / 8 श्रुतम् / 9 उद्यच्छामि-उपमं करोमि / 1. घर-गृहम् / 11 संकडिल्लं संकटं व्याप्तम् / 12 पत्तले पत्रम् / 13 अधः। *-9682-%89%89- 28-* // 32 // For Private and Personal Use Only