________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरी * *48a चरिज। // 30 // भयवं अणाइनिहणे परिम्भमंताण भवसमुदम्मि दाउं हत्थालंबं अम्ह समुत्तारणं कृणसु // 71 // एवं थुणिऊण मुणिं मुणिमुहकमलनि-जा चली हियमणनयणो / उवविट्ठो धरणीए नासो नाइदूरम्मि // 72 // परिच्छेओ। एत्थंतरम्मि मुणिणा परस्थसंपायणेकरसिएण / गंभीरभारईए पारद्धा देसणा एवं // 73 // अइदुलहं मणुयत्तं असारसंसारसागरगयाणं / कुगईण पउरभावा सकम्मवसगाण जीवाणं // 74 // तंपि हु जराभिभूयं आवासो रोगसोगवाहीणं / सारीरमाणसाणेयदुक्खसंपायकलियति // 75 // पवणाहयधयवडचंचलाओ लच्छीओ तहय मणुयाणं / अणवट्ठिया य नेहा सुहिसयणपियाइजणविसया॥७६।। | विसयसुहंपि हु परिणामदारुणं नारयाइदुहहेऊ / आरंभपरिग्गहसंचियस्स पावस्स परिणामो॥७७।। अइभीसणेण बंधेण गरुयपीडा| वहो खु जीवाणं / मिच्छावियप्पवसओ सव्वंपि हु सोक्खमामाइ // 78 // अणवरयसंपयट्टो मच्चू अवहरह जीवसंघायं / एवं च ठिए |भो भो भदा! सम्म विचिंतेह // 79 // केवलिभणियं धम्म मोत्तणं नस्थि किंचि अचंति / सरण भवभीयाणं भवियाणं भवनिताणं ||80 // तम्हा कुणह पेयचं दुलहं लक्ष्ण माणुसं जम्मं / जिणइंदभणियधम्मे सासयसिवसोक्खहेउम्मि // 8 // सावञ्जकजवाणरूवं परिगेण्हिऊण 4व्वज / खविऊण कम्मसत्तुं सासयसोक्खं वयह मोक्खं // 82 // इय केवलिणा भणिए विणिवेसिय करयलंजलिं सीसे। बञ्जरइ गंधवाहणराया उ तहत्ति जं भणह // 83 / / दाउं विज्जानियरं रज्जेण समं तु निययपुत्तस्स / नहवाणस्स तत्तो करोमि गिह-| वासचायति // 4 // ___एत्थंतरम्मि सुन्दरि ! पत्थावं जाणिऊण पुच्छाए / विहियपणामेण मए पुट्ठो मुणिकेवली एवं॥८५॥ लोयालोयविलोयणकेवलनाणेण // 30 // 1 परार्थः परोपकारः / 2 अनवस्थिताः।। सही मुहत् / 4 निवडो-अमः। // प्रयत्नम् / 6 प्रनग्या दीक्षाम् / 7 बजत / 8 शीर्षे / *-*468-*-*-88* *#634-3 * *-*- For Private and Personal Use Only