________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नायभावस्स / पञ्चक्खं हि भयवओ एवं जमहं तु पुच्छिस्सं // 86 // एकच्चिय मह धूया जाया विवाणरूवसंपुना / पाणाणवि वल्लहिया | नामेण कणगमालचि // 87 // धूयाए को भत्ता होही मण वल्लहोत्ति एयाए। चिंताए मह हिययं भयवं ! निश्चपि अक्खलियं // 8 // ता मणनिव्वुइहेउं साहिअउ एस अम्ह वुचतो / पाणिग्गहणं तीए को किर विजाहरो काही // 89 / / एवं च पुच्छिएणं केवलिणा सुयणु ! एरिसं भणिय / मा भद्द 'कुण विसायं थोवं चिय एत्थ वस्थुम्मि // 10 // तुह धृयाए भत्ता सो होही जो इमम्मि वेयड्डे। गुणकलियं पालिस्सइ विजाहरचकवट्टितं // 11 // पुन्वभवनेहबद्धा तुह धृया तस्स पाणवल्लहिया / होही सयलंतेउरललामभूया महादेवी // 12 // केवलिवयणं सोउं संजाओ मज्झ गरुयआणंदो / एस्वंतरम्मि राया सखुडिओ वंदिऊण मुणिं // 93 // ततो रबा सहिओ समागओ तम्मि चेव मयरम्मि / अह रमाई मणिओ बहुमाणजुयं इमं वयणं // 94 // अइवल्लहावि धूया दायव्वा ताव कस्सइ | नरस्स / जं एसा लोगडिई तेणम्हे एरिस भणिमो॥१५॥ नहवाहणस्स दिजउ सा कमा जेण वित्तवीवाह। निययपए ठविऊणं सेवामो | तायपयजुयलं // 16 // ततो भएवि भणिय एत्थत्थे नस्थि किंचि वत्तई / धृया कित्तियमे पाणावि हु तुम्ह आयत्ता // 97 // सच्चिय को धूया धन्ना सेन्हा जा हो। देवपायाण / केवलिगिरावि सच्चा जं किञ्जइ एरिसे विहिए // 98 // तुम्ह सुयं मोत्तूर्ण वेयडगिरिम्मि होज को अन्नो / विजाण चकवड्डी जस्स पिया होज मह धूया // 19 // एवं च मए मणिए विवसियवयणेण राइणाणतो / सोमजसो * जोइसिओ विवाहलग्गं निरूवेसु // 100 // सत्तो जोइसिएणं सम्मं आलोचिऊण आइटुं। वइसाहसुद्धपंचमिरत्तीए सोहणं लग्गं १शातभावस्य-विदितार्थस्य / 2 असलिय-प्रतिफलितम् प्रतिविम्बितम् / / तातपवयुगलम् / / सैव / 5 स्नुषा-पुत्रवधू / 6 आणत्तो आशप्तः आविष्टः / | 7 आलोच्य सम्यगवलोक्य / रत्ती रात्रिः / For Private and Personal Use Only