________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चउत्थो परिच्छेओ। ___ अह भोओ भाणुवेगो समागओ पहसिओ मम भणइ / गम्मउ उजाणम्मि चूयलयावयणमणुसरि // 1 // हरिसाऊरियहियएण | ताहि एवंति जपमाणेणं / तकालुचियं जाव य कायई काउमारद्धं // 2 // एत्थंतरम्मि निसुओ मंगलतूरस्स गहिरनिग्योसो। पुट्ठो य | मए भोया कत्थ इमं वजए तूरं // 3 // तो भणइ भाणुवेगो सम्मं जाणे न कारणं एत्थ / नवरं अमियगइगिहे भाँविजइ एस तूर*खो४॥ अह चिंतियं मए किं आसमपियासमागमस्सावि / अब्भहिओ संतावो फरइ य वामं तहा नयणं // 5 // ता भवियव्वं | केणवि एत्थ नणु कारणेण ताहे मए / चूयलया वहिरिया समागया अह इमं भणिया // 6 // कत्थ इमो तूरखो केणव कजेण सम्म | मेवलब्भ / आगंतूणं भद्दे ! सिग्धं चिय कहसु अम्हाणं // 7 // गंतूणं चूयलया खणंतराओ समागया धणियं / विच्छायवयणकमला afell पुट्ठा य मए इमं भणइ // 8 // एत्तो विणिग्गयाए अमियगइगिहस्स दारदेसम्मि। भूरिजणसंकुलम्मी मए न लद्धो पवेसोवि // 9 // तत्तो य बंधुदत्तो पत्थुयवत्थुम्मि पुच्छिया भणइ / वरणम्मि एस भद्दे ! महोच्छवो कणगमालाए // 10 // सिरिगंधवाहणसुओ गंगा|वत्तम्मि खयरनयरम्मि / नहवाहणोत्ति सुम्मइ तस्स विईना कणयमाला // 11 // एवं वियाणिऊणं समागया एत्थ तुम्ह पासम्मि / केनकडुयंपि तुम्हं साहिज्जइ मंदभागाए // 12 / / तीए वयणं सोउं धसति गुरुमोग्गरेण पहओ ई। मुच्छानिमीलियच्छो पडिओ . भ्राता / 2 अनुस्मृत्य / 3 भाव्यते संभाव्यते / 4 व्याहृता / 5 उपलभ्य विज्ञाय / 6 पत्थुयवत्थुम्मि प्रस्तुतवस्तुनि / " वितीर्णा / ॐ विज्ञाय / कर्णकटुकम् / For Private and Personal Use Only