________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kailassagersuri Gyanmandie सुरसुंदरीचरि। // 27 // तु सह तीए / अम्हाण मणोदइयं दसणमवि दुल्लहं मन्ने // 238 // किं मज्झ जीविएणं किंवा मह हंदि! मणुयजम्मेण / जो विरहदु- तडओ खसमणं तीए वयणं न पेच्छामि 1 // 239 / / अहवा चूयलयाए भणिएणं भविस्सई पभायम्मि। तीए सह ईसणयं अणुकूलो जइ परिच्छेओ। | विही होही // 240 / / गुरुविरहजलणजालावलीहिं संतावियस्स हिययस्स / अन्नो नत्थि उवाओ पियदसणओसहं मोत्तुं // 241 // एमा| इविगप्पेहि पणट्ठणिद्दस्स मज्झ सा रयणी। चउजामावि हु तइया जामसहस्सोवमा जाया // 242 / / असरिसदसहसंतावतावियं कहवि माणसं मझ / फुडमाणपि न फुई मन्ने तईसणासाए // 243 / / सीयलकरनियरेणवि संतावं फेडिउं मह असत्तो। अह लजिउब्व चंदो अत्थगिरिं पाविओ तत्तो // 244 // पच्चूसगयवरुम्मूलियाए उड्डीणससिविहंगाए / रयणिलयाए गलतिव कुसुमाई तारयनिहेर्ण | // 245 / / अह "इंददिसा सहसा केसुयसुयतुंडसच्छहा जाया। आसन्नसूरमंडलवजरणत्थंव लोयस्स // 246 // पडिबोहियकमलवणो | * पसरियखरकिरणपूरियदियंतो / मेलियरैहंगजुयलो तदणंतरमुग्गओ सूरो॥२४७।। एत्थंतरम्मि अहयपि समुट्ठिऊण किच्चं प॑भायतणयं करिउं पेयत्तो। भो सुप्पइट्ठ! तझ्या देइयाइ होही संदसणम्ह इइ पहिट्ठमणो पैगामं // 248 // साहुधणेसरविरइयसुबोहगाहासमूहरम्माए। रागग्गिदोसविसहरपसमणजलमंतभूयाए // 249 // एसोवि परिसमप्पइ विरहे सरुग्गमोत्ति सुपसिद्धो। सुरसुंदरिनामाए कहाए तइओ परिच्छेओ // 250 // 750 // // तइओ परिच्छेओ समत्तो। // 27 // दवितम् अभीष्टम्। 3 प्रशयितुम् / / अशक्तः / 4 निभः छलम् / 5 पूर्वा दिक् / 6 किंशुकशुकतुण्डसदशी (सच्छदा-सदशी)। 7 रथाङ्गः चकवा 8 पभायतणर्य प्रभातसंबन्धि / 1 प्रवृत्तः / 1. दयितायाः वल्लभायाः। " प्रकामम् / Fer Private and Personal Use Only