________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अंजए अलियमेरिसं वयणं / सा दिट्ठा नयणेहिं जाओ हिययस्स संतावो // 224 // रोवंतु नाम तं जणमपेच्छमाणाणि दवनयणाणि। तं हियय! किं विमूरसि साहीणे चिंतियन्वम्मि 1 // 225 // नयणेहिं जोइया सा हियएण को य गरुयपडिबंधो। सरिसेवि हु | अवराहे विरहो हिययं दढं दहइ // 226 // एत्थंतरम्मि सूरो ममिऊणं सुवणमंडलमसेतं / अत्यगिरिमत्थयत्थो जाओ अद्धाणखिनोद | // 227 // निठुरकरेहिं भुवर्ण इमेण संतावियंति रोसेण / नाइव अत्थगिरिणा सीसाओ ढालिओ सूरो // 228 // नाऊण सूरपडणं अणुलग्या उवरि अत्थसेलस्स / रोसेणव रत्तमुहा समागया झत्ति अह संझा // 229 // तयणंतरमंधारियदिसिवलया नवरि आगया स्यणी / पयडियतारयनिवहा कोसियहुंकारभीसणया // 230 // ताव य खणंतराओ निनासियवहलतिमिरसंघाओ। माणिणिमाणुम्महणो वित्थरिओ ससिकरनिहाओ // 23 // मयलंछणपवणेणं गाढं सँधुकिओ "विओयग्गी / संताविउं पयत्तो मह हिपर्य ताहे सय|गुणियं // 232 // अह चिंति पयतो अमयमओ सुम्मई इमो चंदो / नवरं तविरहे अज विज्जुपुंजोवमो जाओ // 23 // हे हियय! | कीस उज्झसि उव्येवं कीस कुणसि अश्वत्थं / दुल्लहजणम्मि रागं पढम चिय कीस तं कुणसि ? // 23 // अयं च / जो किर करेइ नेहं तस्सेव य हियय! चिउं जुत्तं / दूरडिओवि जो दहइ माणसं तम्मि को रागो // 235 // सो चिय वुभइ हियए सो चिय अइनिठुरो दहइ देहं / कस्स कहिजइ वत्ता सरणाओ भयम्मि उम्भूए? // 236 // किं मन्ने होज्ज | दियहं जैम्मी लग्गेज मज्झ हत्यम्मि / मैणनिव्वयणो तीए कमलोयरकोमलो हत्थो // 237 / / अच्छउ ता दूरे चिय पाणिग्गहणाइयं विभज्यसे / 2 सीसाओ ढालिओ-शीर्षात् पातितः / 3 कोशिको चूकः / 4 मानिनीमानोन्मथनः / 5 निहाओ=समूहः / 6 प्रदीप्तः / ॐ वियोग्मग्निः / el पूबते / 1 खसे। 1. अवर्यम्।एक्-रागं कर्तुम् / 12 आते। 15 यस्मिन् / 14 मनोनिर्वाफ्यः संतापापहारी। For Private and Personal Use Only