________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -*48 *48*-*-832*4884-8-28 | दहण मीयभीओ दूरं रेण वच्चाह अणंगो। तत्तो कह तुज्झ भयं जराए जञ्जरियदेहाए // 165 // सोमलयाए भणियं मा म उवह| ससु सुणसु वुत्तं / जह कुसुमबाणविहियं परंपराए मह भयंति / / 166 // उजाणाउ कीलिये समागया नियगिहे कणगमाला। वि|च्छायवयणसोहा विर्डप्पगहिया ससिकलब्ब // 167 // तत्तो य मए पुठ्ठा कीस तुमं पुत्ति ! विमणदुम्मणिया? / न य तीए किंचि | सिटुं सुदीहरं नवरि नीससिउं // 168 / अंसुजलस्यिाई नयणाई कयाई दीणवयणाए / तत्तो य मए पुट्ठा तीए सही हंसिया नाम / / // 169 // तीए मणियं अंबे / उजाणं अज पाविया अम्हे / पूइय मयण बाहिं नीसरिया जाव ता दिट्ठो॥१७०॥ कोउगवक्खित्त| मणो उवविट्ठो भाणुवेगपासम्मि। पञ्चक्खोव्व अणंगो एगो तरुणो महाभागो॥१७१।। युग्मम् // तं दवणं एसा जाया निष्फंदलोयणा | सहसा / आसंत्ता तन्वयणे आलेक्खगयञ्च निचट्ठा // 172 // संबंगिओ इमीए अणिमिसदिट्टीए जोइओ स युवा / न य तेण इमा | दिट्ठा कोउगवक्खित्तचित्तेण // 17 // तो तस्स नयणगोयरमपावमाणा सलजमुहकमला / दोहग्गदूसियं पिव अत्ताण मन्त्रमाणव्व | // 174 // किंकिंपि चिंतिऊणं भणइ सहीओ! इमम्मि चूयमे / कीलामो ताव खणं बंधिय अंदोलयं अम्हे // 175 // युग्मम् / एवं | ताहिं भणिए तहेव संपाडियम्मि एसावि / गुरुसद्देण संहीओ आसन्नाओवि वाहरइ // 176 // जइ एसो मह सदं सोऊणं संमुहं पलो| एजा / होजामि ता कयत्था हैइ आसाए तडिजंती // 177 // तं पेक्खिऊण य मए परिहासवसेण जंपियं एयं / आसनपि सहिजणं | उच्चुच्च कीस वाहरसि // 178 // कोउगवक्खित्तमणो एसो तुह देइ नेय पडिवयणं / तं वयण सोऊणं संविलक्खा किंचि संजाया 179 / / एत्यंतरम्मि दिवा तेण जुवाणेणऽणंगरूवेण / संज्झसहरिसेहि इमा ताहि अउवं रसं पत्ता / / 180 // तेणालोइयमेत्ता सोह१ क्रीडित्वा / 2 राहुगृहीता। 3 सर्वागीणः / 4 दृष्टः / 5 दोहग्ग-दुर्भाग्यम् / / सखीः / . इति / 8 सवैलक्ष्या / 9 साध्वसहर्षाभ्याम् / For Private and Personal Use Only